Ganesh Visarjan Puja Vidhi: गणेश विसर्जन पूजा के समय ध्यान रहे ये जरूरी बातें
गणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन यानी आज करने का विधान है।
गणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन यानी आज करने का विधान है। भाद्र शुक्ल चतुर्थी से गणेश पूजन आरंभ करके चतुर्दशी तिथि को गणपति के विसर्जन का विधान शास्त्रों में बताया गया है। गणेशजी शुभ और लाभ प्रदान करने वाले देवता हैं और मंगल मूर्ति कहलाते हैं। अपने विनयशील स्वभाव के कारण यह विनायक भी कहे जाते हैं। विनायक की विदाई बहुत ही आनंदपूर्वक और शुभ विधि विधान से करने की परंपरा रही है। गणेशजी जाते-जाते आपके घर में शुभ और लाभ देकर जाएं इसके लिए इनकी विदाई और विसर्जन के समय कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए।
गणेश विसर्जन पूजा विधि, गणेश विदा करने के नियम
विसर्जन से पहले गणेशजी की विधिपूर्वक पूजा करें।
गणपति की पूजा के बाद इनकी आरती भी करें और क्षमा प्रार्थना करें।
गणेशजी को चूड़ा, गुड़, गन्ना, मोदक, केला, नारियल, पान और सुपारी अर्पित करें।
गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें और प्रार्थना करें कि आपके घर में सुख शांति बनाए रखें।
गणेशजी को नवीन वस्त्र पहनाकर उसमें पंचमेवा, जीरा, सुपारी और कुछ धन बांध दें।
अगर हवन करना चाहें तो हवन सामग्री में जीरा और काली मिर्च डालकर हवन करें। तंत्र शास्त्र के अनुसार यह धनदायक होता है।
गणेशजी से श्रद्धा पूर्वक अपने स्थान को विदा होने की प्रार्थना करें।
गणेशजी की मूर्ति को पहले प्रणाम करें फिर चरण स्पर्श करें फिर आज्ञा लेकर श्रद्धापूर्वक मूर्ति उठाएं।
संभव हो तो गणपति मूर्ति को घर के आंगन में ही जल की व्यवस्था करके विसर्जित कर दें।
मूर्ति बड़ी हो तभी बाहर नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित करें।
विसर्जन के समय गणपति का मुख सामने की ओर होना चाहिए। आगे मुख करके विसर्जन न करें।
गणपति विसर्जन के समय बप्पा के जयकारे लगाएं और बोलें गणपति मोरया अगले बरस तू जल्दी आ।