कब से शुरु हो रहे पितृपक्ष, नोट करें तिथि और महत्व

Update: 2023-08-01 12:46 GMT
हिंदू धर्म में वैसे तो हर दिन को महत्वपूर्ण माना गया हैं लेकिन पूर्वजों को समर्पित पितृपक्ष बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि पितरों के श्राद्ध तर्पण के लिए उत्तम समय होता हैं इस दौरान वंशज अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। धार्मिक पंचांग के अनुसार पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास की पूर्णिता तिथि से हो जाती हैं और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर समाप्त होती हैं।
 इस साल पितृपक्ष का आरंभ 29 सितंबर से हो रहा हैं वही इसका समापन 14 अक्टूबर को हो जाएगा। इस दौरान पूर्वज स्वर्ग लोक से धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए जाने वाले श्राद्ध, तर्पण से प्रसन्न होकर उन्हें सफलता और सुख प्राप्ति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा पितृपक्ष के महत्व से अवगत करा रहे हैं।
 पितृपक्ष के दिनों का महत्व—
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार साल के 15 दिन पूर्वजों को समर्पित होते हैं जिसे पितृपक्ष के नाम से जाना जाता हैं इस दौरान पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करके उनका श्राद्ध कर्म किया जाता हैं। माना जाता हैं कि पितृपक्ष के दिनों में पितरों को तर्पण देने और उनका श्राद्ध कर्म करने से उन्हें मोक्ष मिलता हैं।
 इस दौरान ना केवल पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता हैं बल्कि उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए भी इन कार्यों को करना उत्तम माना जाता हैं लेकिन पितृपक्ष के दिनों में किसी भी तरह के शुभ, मांगलिक कार्य व नए कार्यों का आरंभ करना वर्जित माना गया हैं। पितृपक्ष के दिनों को पूजा पाठ और श्राद्ध तर्पण के लिए उचित बताया गया हैं।
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