साल की पहली पौष पूर्णिमा आज, करें ये आसान उपाय

शास्त्रों में पौष माह की पूर्णिमा का बहुत महत्व बताया गया है। नववर्ष की पहली पूर्णिमा 17 जनवरी, सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन बनारस में दशाश्वमेघ तथा त्रिवेणी संगम में स्न्नान का बहुत धार्मिक महत्व माना गया है

Update: 2022-01-17 01:33 GMT

शास्त्रों में पौष माह की पूर्णिमा का बहुत महत्व बताया गया है। नववर्ष की पहली पूर्णिमा 17 जनवरी, सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन बनारस में दशाश्वमेघ तथा त्रिवेणी संगम में स्न्नान का बहुत धार्मिक महत्व माना गया है एवं इस तिथि पर ही शाकंभरी देवी की जयंती मनाई जाती है। मान्यता के अनुसार भक्तों द्वारा इस दिन की जाने वाली पूजा एवं व्रत का विशेष पुण्य प्राप्त होता है तथा पौष पूर्णिमा पर स्नान-दान से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी दिन से कल्पवास की शुरुआत हो जाती है। इस दिन कुछ धार्मिक उपाय करने से जीवन में आए कष्ट दूर होते हैं वहीं घर में सुख-सौभाग्य आता है।

शुभ फलों में वृद्धि के लिए पौष पूर्णिमा के दिन मुख्य द्वार समेत घर के दरवाजों पर आम और अशोक के पत्तों का तोरण अवश्य लगाएं ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है।

पूर्णिमा तिथि भगवान सत्यनारायण एवं मां लक्ष्मी को समर्पित होती है। इस दिन श्री हरिविष्णु व मांलक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने और व्रत आदि रखने से संकटों और दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।

रात्रि के समय भगवान नारायण की प्रसन्नता के लिए नृत्य,भजन-कीर्तन और स्तुति के द्वारा जागरण करना चाहिए। जागरण करने वाले को जिस फल की प्राप्ति होती है,वह हज़ारों बर्ष तपस्या करने से भी नहीं मिलता।

स्कंद पुराण में कहा गया है कि सत्यनारायण भगवान विष्णु के ही रूप हैं। ऐसे में पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की कथा कराने और सुनने से भक्तों पर विष्णुजी की असीम कृपा होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि सत्यनारायण कथा कराने से हजारों साल तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है।

इस दिन गीता पाठ,विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जप करने से प्राणी पापमुक्त-कर्जमुक्त होकर विष्णुजी की कृपा पाता है।

पूर्णिमा को व्रत की सिद्धि के लिए भगवान विष्णु एवं माँ लक्ष्मी के समक्ष घी का अखंड दीपक जलाएं ,एवं इस दिन दीपदान करना शुभ माना गया है।भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस दिन आसमान के नीचे सांयकाल घरों,मंदिरों,पीपल के वृक्षों तथा तुलसी के पौधों के पास दीप प्रज्वलित करने चाहिए।यदि संभव हो तो पवित्र नदियों में भी दीप दान करना चाहिए।

पौष पूणिमा शीत ऋतु में पड़ने के कारण इस दिन सर्दी से राहत देने वाली गर्म वस्तुओं का दान करना चाहिए । इस दिन चावल,घी,खिचड़ी,कम्बल,वस्त्रदान,तिल से बनी हुई मिठाइयां एवं फल आदि का दान करना बहुत ही लाभकारी माना गया है।

जो लोग जीवन में धन सम्बन्धी समस्याओं का सामना कर रहे हैं उन्हें पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चन्द्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर अर्ध्य देना चाहिए ऐसा करने से धीरे धीरे उनकी आर्थिक समस्या खत्म होती है। दांपत्य जीवन में मधुरता के लिए भी यह उपाय अच्छा है।


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