आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए है बेहद खास है फाल्गुन मास, अधिक से अधिक फल का इस्तेमाल करना है बेहतर

इस महीने में प्रेम संबंधों और रिश्तों में बेहतरी आने लगती है. ऐसे में जानते हैं कि फाल्गुन मास में क्या करना अच्छा रहता है.

Update: 2022-02-17 08:56 GMT
आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए है बेहद खास है फाल्गुन मास, अधिक से अधिक फल का इस्तेमाल करना है बेहतर
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Falgun Maas 2022: पंचांग के मुताबिक आज यानि 17 फरवरी से फाल्गुन मास की शुरुआत हो गई है. फाल्गुन हिंदू वर्ष का अंतिम महीना होता है. इस मास को आनंद और उल्लास का महीना कहा जाता है. फाल्गुन का महीना 18 मार्च तक रहेगा. इस महीने से धीरे-धीरे गर्मी की शुरुआत होने लगती है. साथ ही बसंत ऋतु का प्रभाव होने से इस महीने में प्रेम संबंधों और रिश्तों में बेहतरी आने लगती है. ऐसे में जानते हैं कि फाल्गुन मास में क्या करना अच्छा रहता है.

फाल्गुन मास में रखें इन बातों का ध्यान
फाल्गुन मास में शीतल या सामान्य पानी से स्नान करना अच्छा रहता है. भोजन में अनाज का इस्तेमाल कम से कम करना बेहतर रहता है. अधिकाधिक फलों का सेवन करना चाहिए. साथ ही इस महीने में कपड़े रंगीन और सुंदर पहनना चाहिए. इसके अलावा नियमित रूप से श्रीकृष्ण की उपासना करनी चाहिए. पूजा में फूलों का खूब इस्तेमाल करें. वहीं इस महीने में मांस-मछली और नशीली चीजों के सेवन से परहेज करें.
फाल्गुन मास के विशेष उपाय (Falgun Month Upay)
अगर गुस्से या चिड़चिड़ाहट की समस्या है तो पूरे महीने श्रीकृष्ण की उपासाना करें और उन्हें गुलाल अर्पित करें. साथ ही अगर अवसाद की समस्या है तो जल में चंदन मिलाकर स्नान करें. इसके अलावा अगर सेहत से संबंधित किसी प्रकार की समस्या है तो पूरे महीने भगवान शिव को सफेद चंदन अर्पित करें. वहीं अगर किसी तरह की आर्थिक समस्या है तो पूरे महीने मां लक्ष्मी को गुलाब या इत्र अर्पित करें.
श्रीकृष्ण के 3 स्वरूपों की पूजा है फलदायी
फाल्गुन महीने में श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना विशेष फलदायी होती है. इस महीने में श्रीकृष्ण के बाल, युवा और गुरु इन तीनों स्वरूपों की उपासना करने का विधान है. साथ ही इस महीने में संतान की प्रप्ति के लिए श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की उपासना करनी चाहिए. प्रेम और आनंद की प्राप्ति के लिए श्रीकृष्ण के युवा स्वरूप की पूजा करनी चाहिए. इसके अलावा ज्ञान प्राप्ति के लिए गुरु कृष्ण की उपासना करनी चाहिए.


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