वास्तु के अनुसार करें मंदिर की स्थापना, बरसेगी कृपा

Update: 2023-06-23 06:12 GMT
मंदिर की स्थापना करना जितना जरूरी है, उससे भी कहीं ज्यादा जरूरी है सही दिशा और स्थान पर भगवान को स्थान देना। वास्तुशास्त्र के अंतर्गत जीवन को सुखी और सकारात्मक बनाने के अनेक टिप्स मौजूद हैं। ये सच है कि ईश्वर सर्वव्यापी हैं और वे हमेशा सबका कल्याण ही करेंगे, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि दिशाओं के स्वामी भी देवता ही हैं। हर घर में भगवान का मंदिर जरूर होता ही है। मंदिर चाहे छोटा हो या बड़ा लेकिन उसका वास्तु के अनुसार ही होना शुभ माना जाता है। घर के मंदिर से जुड़ी ऐसी कुछ बातें हैं, जिनका ध्यान रखना बहुत ही जरूरी होता है। अत: आवश्यक है कि पूजा स्थल बनवाते समय भी वास्तु के कुछ नियमों का ध्यान रखा जाए। आइये जानते हैं वास्तुशास्त्र के अनुसार मंदिर की स्थापना से जुड़े वास्तु टिप्स के बारे में।
* घर में पूजा स्थल की स्थापना हमेशा उत्तर, पूर्वी या उत्तर-पूर्वी दिशा में ही करनी चाहिए। पूजा करते समय भी हमारा मुख पूर्वी या उत्तरी दिशा में ही होना चाहिए। चूंकि ईश्वरीय शक्ति ईशान कोण (उत्तर-पूर्वी) से प्रवेश कर नैऋत्य कोण (पश्चिम-दक्षिण) से बाहर निकलती है, इसलिए उत्तर-पूर्वी दिशा में मंदिर होना शुभ कहा जाता है।
* घर में कुलदेवता का चित्र होना अत्यंत शुभ है। इसे पूर्व या उत्तर की दीवार पर लगाना श्रेष्ठकर है।
* घर में एक बित्ते से अधिक बड़ी पत्थर की मूर्ति की स्थापना करने से गृहस्वामी की सन्तान नहीं होती। उसकी स्थापना पूजा स्थान में ही करनी चाहिए।
* घर में मंदिर के ऊपर या आस पास बाथरूम नहीं होना चाहिए। इसके अलावा किचन में बना मंदिर भी वास्तु में सही नहीं माना जाता। इससे बचना चाहिए।
* एक घर में अलग-अलग पूजाघर बनवाने की बजाए मिल-जुलकर एक मंदिर बनवाए। एक घर में कई मंदिर होने पर वहां के सदस्यों को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
* अगर आपका अलग पूजा रूम है तो इसकी दीवारों का रंग पीला, हरा या फिर हल्का गुलाबी रखें। बेहतर होगा आप इनमें से किसी एक रंग से ही दीवारे रंगें।
* घर का मंदिर हमेशा लकड़ी का रखें। वास्तु के मुताबिक लड़की गुड लक लाती है। अगर आप संगमरमर का मंदिर रखना चाहते हैं तो वो भी रख सकते हैं। इससे भी घर में शांति और खुशी आती है।
* मंदिर के नीचे अग्नि से संबंधित कोई भी वस्तु जैसे इन्वर्टर या बिजली से चलने वाली मोटर नहीं होना चाहिए। इसके विपरीत इस स्थान का उपयोग मंदिर से जुड़े सामान, जैसे पूजन सामग्री, धार्मिक पुस्तकों आदि को रखने के लिए किया जाना चाहिए।
* घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य-प्रतिमा, तीन देवी प्रतिमा, दो द्वारका के (गोमती) चक्र और दो शालिग्राम का पूजन करने से गृहस्वामी को अशान्ति प्राप्त होती है।
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