दशहरा 2021: इस दिन है दशहरा, जानिए समय और महत्व

नवरात्रि का पावन पर्व अब से बस कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है. इस दौरान माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है

Update: 2021-10-03 15:03 GMT

नवरात्रि का पावन पर्व अब से बस कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है. इस दौरान माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. इन दिनों में भक्त माता की चौकी सजाते हैं और दुर्गा पाठ भी अपने घरों में कराते हैं. पूरे नौ दिनों तक बाजारों में भी रौनक रहती है और लोग पूरे उत्साह में दिखाई देते हैं.

दशहरा एक बहु-सांस्कृतिक त्योहार है. इस पर्व को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है. नेपाल में इसे दशईं के रूप में मनाया जाता है. ये हिंदू लूनी-सौर कैलेंडर के अश्विन महीने के दसवें दिन मनाया जाता है.
ये आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के सितंबर और अक्टूबर के महीनों में पड़ता है. इस बार ये 15 अक्टूबर शुक्रवार को मनाया जाएगा.
दशहरा 2021: तिथि और समय
विजय मुहूर्त- 14:01 से 14:47
अपर्णा पूजा का समय – 13:15 से 15:33
दशमी तिथि शुरू – 14 अक्टूबर 18:52
दशमी तिथि समाप्त – 15 अक्टूबर 18:02
श्रवण नक्षत्र प्रारंभ – 14 अक्टूबर 09:36
श्रवण नक्षत्र समाप्त – 15 अक्टूबर 09:16
दशहरा 2021: महत्व
विजयदशमी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है. ये त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग कारणों से मनाया जाता है. कुछ भक्त इसे बिजॉय दशमी के रूप में मनाते हैं, ये दुर्गा पूजा का अंत है, वो इसे राक्षस महिषासुर पर मां दुर्गा की जीत के रूप में मनाते हैं, जिसने देवताओं को आतंकित किया था.
मां दुर्गा, देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की मूर्तियों को लेकर जुलूस संगीत और मंत्रोच्चार के साथ होता है.
मूर्तियों को जलाशयों में विसर्जित कर विदाई दी जाती है. विवाहित महिलाएं एक-दूसरे के माथे पर सिंदूर लगाती हैं और लोग अभिवादन का आदान-प्रदान करते हैं.
कुछ राज्यों में इसे दशहरा के रूप में मनाया जाता है. वो इस त्योहार को रावण पर भगवान राम की जीत के रूप में मनाते हैं. रावण के पुतले, जो बुराई का प्रतीक हैं, आतिशबाजी के साथ जलाए जाते हैं.
इस अवसर पर पांडव अर्जुन ने अपने भारी संख्या में सैनिकों के साथ सभी कुरु योद्धाओं को हराया. दशहरे के दिन देवी अपराजिता की पूजा की जाती है.
शमी पूजा भी विजयादशमी पर किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. इसे अपराह्न के समय करना चाहिए. दशहरा के दिन शस्त्रों की भी पूजा की जाती है. रोशनी का त्योहार दिवाली दशहरे के बीस दिनों के बाद आता है.


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