Ganesh Chaturthi ज्योतिष न्यूज़: हिंदू धर्म में पर्व त्योहारों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन गणेश चतुर्थी को बहुत ही खास माना गया है जो कि गणपति साधना आराधना को समर्पित दिन होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का पावन पर्व हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
आपको बता दें कि भाद्रपद माह में गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक भगवान गणेश की पूजा अर्चना का विधान होता है। भाद्रपद का महीना गणपति को समर्पित किया गया है। ऐसे में इस महीने भगवान की आराधना शुभ मानी गई हैं इस साल गणेश चतुर्थी का पावन पर्व 7 सितंबर दिन शनिवार यानी आज देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन घर घर में गणपति विराजमान किए जाते हैं ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा गणपति स्थापना से जुड़े वास्तु नियमों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
मूर्ति स्थापना से जुड़े वास्तु नियम—
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में गणेश प्रतिमा को लगाते वक्त इसकी दिशा का ध्यान जरूर रखें। गणेश मूर्ति को ईशान कोण, पूर्व ईशान या उत्तर दिशा में ही स्थापित करें इसे शुभ माना गया है लेकिन भूलकर भी घर की दक्षिण दिशा में गणेश प्रतिमा को नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा शौचालय, कूड़ेदान, स्टोर रूम, सीढ़ियों के नीचे भी मूर्ति को स्थापित न करें। इसे अशुभ माना गया है।
वास्तु अनुसार भगवान गणेश की प्रतिमा घर में लाते वक्त ललितासन में बैठी हुई होनी चाहिए। ऐसी मूर्ति शांति का प्रतीक मानी जाती है इसे घर में रखने से हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है। मूर्ति लाते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गणपति की मूर्ति में सूंड किस दिशा में है।
गणेश जी की सूंड हमेशा बाईं ओर झुकी होनी चाहिए। ऐसी प्रतिमा सफलता, सुख और सकारात्मकता प्रदान करने वाली होती है। वास्तु अनुसार भगवान गणेश के बाएं हाथ में मोदक होना चाहिए और उनके चरणों के पास मूषक वाहन होना चाहिए। इसके साथ ही दाहिने हाथ की तीन उंगलियां खुली होनी चाहिए और पहली उंगली अंगूठे को छूती हुई होनी चाहिए इसे शुभ माना गया है।