क्या कई महीनों तक सोते हैं भगवान?, जानें भगवान के यहां कैसे होते हैं दिन और रात?
अक्सर आपने सुना होगा कि देव उठने के बाद कोई अच्छा काम करेंगे या अभी देव सो रहे हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अक्सर आपने सुना होगा कि देव उठने के बाद कोई अच्छा काम करेंगे या अभी देव सो रहे हैं. हाल ही में जो एक एकादशी गई है, वो देवशयनी एकादशी ही थी यानी इस दिन भगवान आराम करने चले गए. अब कुछ महीनों बाद भगवान उठेंगे और उसके बाद शादी जैसे मंगल कार्य शुरू होंगे. ऐसे में अक्सर लोगों के मन में सवाल रहता है कि भगवान एक साथ इतने महीनों तक कैसे सोते हैं और वो कई महीनों तक जागते हैं और क्या फिर एक साथ अपनी नींद लेते हैं.
ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर इसके पीछे क्या कहानियां और इसके लिए पुराणों में क्या कहा गया है. साथ ही हम आपको आज बताएंगे कि भगवान के यहां यानी देवलोक में दिन-रात का सिस्टम क्या होता है. हमारे यहां तो 24 घंटे का एक दिन होता है तो जानते हैं भगवान के यहां क्या सिस्टम होता है…
क्या कई महीनों तक सोते हैं भगवान?
दरअसल, सावन से पहले यानी आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु आराम करने चले जाते हैं और चार महीने बाद यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली देवउठनी एकादशी को उठते हैं. इस चार महीने के वक्त को चातुर्मास भी कहा जाता है. जब आप अपने टाइम के हिसाब से देखते हैं तो आपको लगता है कि भगवान कई महीनों तक सो रहे हैं. लेकिन, ऐसा नहीं होता है, क्योंकि भगवान की दुनिया में रात और दिन का सिस्टम अलग होता है. हमारे हिसाब से भगवान 8 महीने जागते हैं और 4 महीने सोते हैं.
भगवान के यहां कैसे होते हैं दिन और रात?
भगवान के दिन-रात के बारे में जानने से पहले जानते हैं कि आखिर पुराणों में क्या काल यानी समय को लेकर क्या गया है. भविष्यपुराण के पहले भाग में ही समय के बारे में बताया गया है, जिसमें कहा गया है-' पलक गिरने के समय को निमेष कहते हैं और 18 निमेष की एक काष्ठा होती है. तीस काष्ठा की एक कला, तीस कला का एक क्षण, बारह क्षण का एक मुहूर्त, तीस मुहूर्त का एक दिन-रात, तीस दिन-रात का एक महीने, दो महीने की एक ऋतु आदि होते हैं.'
इसके अलावा पुराण में लिखा है पितरों का दिन-रात मनुष्यों के एक महीने के बराबर होता है अर्थात् शुक्ल पक्ष में पितरों की रात्रि और कृष्ण पक्ष में दिन होता है. देवताओं का एक दिन रात मनुष्यों के एक साल के बराबर होता है. इसमें जब उत्तरायण होता है तो भगवान के यहां दिन और दक्षिणायन में रात होती है.' यानी मनुष्यों के एक साल के बराबर भगवान के यहां एक दिन होता है.
ब्रह्माजी के दिन रात है अलग?
वहीं, ब्रह्माजी के लिए लिखा गया है कि उनका एक दिन एक युग के बराबर होता है. जब ब्रह्माजी का एक दिन होता है तो युग बदल जाता है और प्रलय होता है. हालांकि, कई अन्य पुराणों में कई तथ्य हैं, जो बताते हैं कि शिव का एक दिन बड़ा होता है.