क्या आप जानते है मोती धारण करने के नियम

Update: 2023-04-08 18:01 GMT
मोती (Pearl) एक ऐसा रत्न है, जो अमृत का काम करता है। यह आपकी हर इच्छा को पूर्ण करने की क्षमता रखता है। मोती एक दमकता-चमकता रत्न है, जो हर किसी को पसंद आता है। इसकी गुलाबी आभा आकर्षण के साथ-साथ जीवन की कई बड़ी समस्याओं को दूर करने में सक्षम है।
यह जीवन के किसी भी क्षेत्र में आ रही कोई भी बाधा को दूर करने का कार्य करता है। मोती (Pearl gemstone) चंद्रमा के बलि होने, मानसिक तनाव तथा कई बीमारियां जैसे- पथरी, पेशाब संबंधित परेशानियां या बीमारी, जोड़ों का दर्द आदि से राहत पाने के लिए धारण किया जाता है।
मोती धारण करने के नियम एवं लाभ-ratna vigyan
- मोती को गंगाजल से धोकर, शिवजी को अर्पित करने के बाद ही धारण करें।
- मोती को चांदी की अंगूठी में कनिष्ठा अंगुली में शुक्ल पक्ष के सोमवार की रात्रि को धारण करते हैं।
- कुछ लोग इसे पूर्णिमा को भी धारण करने की सलाह देते हैं।
- मोती के साथ पीला पुखराज और मूंगा ही धारण कर सकते हैं।
- यदि आपका मन अशांत है या कुंडली में चंद्रमा क्षीण है तो मोती पहनने की सलाह दी जाती है।
- तेजस्वी सफेद तथा गोल लंबे आकार का मोती, जिसमें लाल रंग के ध्वज के आकार का सूक्ष्म चिह्न हो, ऐसा मोती धारण करने से अपार तथा राज्य की ओर से लक्ष्मी का लाभ मिलता है।
- चंद्रमा क्षीण हो या सूर्य के साथ हो तो भी मोती धारण करना चाहिए।
- चंद्रमा की महादशा होने पर मोती अवश्य पहनना चाहिए।
- कृष्ण पक्ष में जन्म अथवा चंद्रमा क्षीण हो तो मोती पहनने से लाभ मिलता है।
- मोती पहनने से मन मजबूत तथा दिमाग तेज होता है तथा चंद्रमा की समस्याओं को शांत किया जा सकता है। मोती से मन में सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं।
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