शनि ग्रह के प्रकोप से बचने के लिए करें ये काम

ज्योतिष में शनि ग्रह की छवि क्रूर ग्रह की बनी हुई है। ऐसा माना जाता है कि जब भी व्यक्ति पर शनि की मार पड़ती है

Update: 2021-08-11 17:44 GMT

ज्योतिष में शनि ग्रह की छवि क्रूर ग्रह की बनी हुई है। ऐसा माना जाता है कि जब भी व्यक्ति पर शनि की मार पड़ती है तो स्थितियां अच्छी नहीं रहती। व्यक्ति को परेशानियां उठानी पड़ती हैं। ज्योतिष में शनि को न्याय का देवता माना जाता है। कुंडली में जब शनि कष्टदायक स्थिति में हो तो शनि दोष बनता है। चूंकि शनि ग्रह बहुत ही धीमी चाल से चलते हैं, ऐसे में व्यक्ति को शनि के परिणाम भी लंबे समय तक झेलने पड़ते हैं। ऐसे में शनि की ढैय्या और साढ़े साती शनि का मुख्य दोष मानी जाती है। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार जब शनि मेष में हो तो इसे नीच का माना जाता है। यह स्थिति भी शनिदोष की बनती है। शत्रु राशि का शनि होने से भी व्यक्ति को परेशानी होती है। शनि और सूर्य का साथ होना और इनके अस्त होने से भी शनि दोष लगता है। ज्योतिष में चंद्रमा के साथ शनि का होना भी अच्छा नहीं माना जाता है। जब शनि नीच राशि का हो, सूर्य या चंद्रमा के साथ युति बनाए तो इस स्थिति में शनि दोष लगता है।

चंद्र राशि के हिसाब से जब कुंडली में शनि आठवें या चौथे स्थान में हो तो शनि की ढैय्या की स्थिति बनती है। इस अवधि में व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियां उठानी पड़ती हैं। इस दौरान व्यक्ति को अनेक कष्ट पाता है। शनि के प्रथम, द्वितीय या द्वादश स्थान पर होने से साढ़ेसाती बनती है। माना जाता है कि जब व्यक्ति पर शनि की कुदृष्टि पड़ती है तो व्यक्ति राजा से रंक बन जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से देखें तो भले ही शनि को क्रूर या दुष्ट ग्रह माना जाता है, लेकिन वास्तव में शनि की भूमिका न्याय की होती है। व्यक्ति जैसा करता है, शनिदेव उसको वैसे ही परिणाम देते हैं। जो लोग गलत कार्य करते हैं उन्हें शनि की महादशा में सर्वााधिक परेशानी उठानी पड़ती हैं। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार शनि के नकारात्मक से बचने के लिए उनकी पूजा करनी चाहिए। तेज, राई और उडद का दान करना चाहिए। श्री हनुमान जी की पूजा करने से भी शनिदेव के कष्ट मिटते हैं। भगवान शिव की आराधना से भी शनिदोष से राहत मिलती है। पीपल के पेड़ को सींचने एवं दीप प्रज्जवलित करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। 

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