हर सोमवार करें ये एक काम,शिव जी का मिलेगा आशीर्वाद

Update: 2023-07-03 09:44 GMT
सप्ताह में सोमवार का दिन शिव भक्ति को समर्पित किया गया हैं ऐसे में हर कोई आज के दिन भगवान को खुश करने में लगा रहता हैं लोग सोमवार के दिन शिव पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता हैं कि ऐसा करने से शिव शंकर की अपार कृपा बरसती हैं।
 लेकिन इसी के साथ ही अगर हर सोमवार के दिन शिव कवच का पाठ किया जाए तो सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिल जाती हैं और साधक को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।
 शिव कवच-
ॐ नमो भगवते सदाशिवाय सकलतत्त्वात्मकाय सर्वमंत्रस्वरूपाय
सर्वयंत्राधिष्ठिताय सर्वतंत्रस्वरूपाय सर्वत्त्वविदूराय ब्रह्मरुद्रावतारिणे
नीलकंठाय पार्वतीमनोहरप्रियाय सोमसूर्याग्निलोचनाय
भस्मोद्धूसलितविग्रहाय महामणिमुकुटधारणाय माणिक्यभूषणाय
सृष्टिस्थितिप्रलयकालरौद्रावताराय दक्षाध्वरध्वंसकाय महाकालभेदनाय
मूलाधारैकनिलयाय तत्त्वातीताय गंगाधराय सर्वदेवाधिदेवाय षडाश्रयाय
वेदांतसाराय त्रिवर्गसाधनायानंतकोटिब्रह्माण्डनायकायानंतवासुकितक्षककर्कोटकङ्खिकुलिक
पद्ममहापद्मेत्यष्टमहानागकुलभूषणायप्रणवस्वरूपाय चिदाकाशाय
आकाशदिक्स्वरूपायग्रहनक्षत्रमालिने सकलाय कलंकरहिताय
सकललोकैकर्त्रे सकललोकैकभर्त्रे सकललोकैकसंहर्त्रे सकललोकैकगुरवे
सकललोकैकसाक्षिणे सकलनिगमगुह्याय सकल वेदान्तपारगाय
सकललोकैकवरप्रदाय सकलकोलोकैकशंकराय शशांकशेखराय शाश्वगतनिजावासाय
निराभासाय निरामयाय निर्मलाय निर्लोभाय निर्मदाय निश्चिंताय
do these upay on every monday
निरहंकाराय निरंकुशाय निष्कलंकाय निर्गुणाय निष्कामाय निरुपप्लवाय
निरवद्याय निरंतराय निष्कारणाय निरंतकाय निष्प्रपंचाय नि:संगाय
निर्द्वंद्वाय निराधाराय नीरागाय निष्क्रोधाय निर्मलाय निष्पापाय
निर्भयाय निर्विकल्पाय निर्भेदाय निष्क्रियय निस्तुलाय नि:संशयाय
निरंजनाय निरुपमविभवायनित्यशुद्धबुद्ध परिपूर्णसच्चिदानंदाद्वयाय
परमशांतस्वरूपाय तेजोरूपाय तेजोमयाय जय जय रुद्रमहारौद्रभद्रावतार
महाभैरव कालभैरव कल्पांतभैरव कपालमालाधर
खट्वांगखड्गचर्मपाशांकुशडमरुशूलचापबाणगदाशक्तिवभिंदिपालतोमरमुसलमुद्‌गरपाशपरिघ
भुशुण्डीशतघ्नीचक्राद्यायुधभीषणकरसहस्रमुखदंष्ट्राकरालवदनविकटाट्टहासविस्फारितब्रह्मांडमंडल
नागेंद्रकुंडल नागेंद्रहार नागेन्द्रवलय नागेंद्रचर्मधरमृयुंजय त्र्यंबकपुरांतक
विश्विरूप विरूपाक्ष विश्वेलश्वर वृषभवाहन विषविभूषण विश्वदतोमुख
सर्वतो रक्ष रक्ष मां ज्वल ज्वल महामृत्युमपमृत्युभयं नाशयनाशयचोरभयमुत्सादयोत्सादय
विषसर्पभयं शमय शमय चोरान्मारय मारय ममशमनुच्चाट्योच्चाटयत्रिशूलेनविदारय
कुठारेणभिंधिभिंभधि खड्‌गेन छिंधि छिंधि खट्वां गेन विपोथय विपोथय मुसलेन
निष्पेषय निष्पेषय वाणै: संताडय संताडय रक्षांसि भीषय भीषयशेषभूतानि
निद्रावय कूष्मांडवेतालमारीच ब्रह्मराक्षसगणान्‌संत्रासय संत्रासय ममाभय
कुरु कुरु वित्रस्तं मामाश्वा सयाश्वासय नरकमहाभयान्मामुद्धरसंजीवय
संजीवयक्षुत्तृड्‌भ्यां मामाप्याय-आप्याय दु:खातुरं मामानन्दयानन्दयशिवकवचेन
मामाच्छादयाच्छादयमृत्युंजय त्र्यंबक सदाशिव नमस्ते नमस्ते नमस्ते।
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