वरुथिनी एकादशी पर कए ये काम, मां लक्ष्मी होगी प्रसन्न

Update: 2024-05-03 07:56 GMT
ज्योतिष न्यूज़  : हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी का व्रत पूजन किया जाता है इस बार यह एकादशी 4 मई दिन शनिवार यानी कल मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान होता है।
 माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की एक साथ पूजा अर्चना करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं और सुख समृद्धि आती है इसके अलावा अगर इस दिन पूजा पाठ के दोरान श्री लक्ष्मी जी की आरती की जाए साथ ही तुलसी आरती की जाए तो माता लक्ष्मी व भगवान विष्णु प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों को धन लाभ का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
 श्री महालक्ष्मी आरती—
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
उमा,रमा,ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
जिस घर में तुम रहतीं, तहँ सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
 माता तुलसी की आरती—
जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥
जय तुलसी माता...
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर ।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता ॥
जय तुलसी माता...
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या ।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता ॥
जय तुलसी माता...
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित ।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता ॥
जय तुलसी माता...
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में ।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता ॥
जय तुलसी माता...
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी ।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता ॥
हमारी विपद हरो तुम,कृपा करो माता ॥
जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥
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