नई दिल्ली : रविवार, सूर्य देवता का दिन, न केवल आराम का दिन है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सुख-समृद्धि लाने का भी अवसर है। इस दिन, सूर्य देव की पूजा और स्तुति का पाठ करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। सूर्य देव को जीवन का आधार माना जाता है। वे ऊर्जा, प्रकाश और गर्मी के स्रोत हैं। सूर्य देव की पूजा करने से भक्तों को जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शक्ति और स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
।। श्री सूर्य स्तुति ।।
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।
त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान-मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सूर्य स्तुति पाठ का क्या लाभ है
स्वास्थ्य लाभ: सूर्य देव को आरोग्य का देवता माना जाता है। सूर्य स्तुति का पाठ करने से भक्तों को रोगों से मुक्ति और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
आर्थिक लाभ: सूर्य देव को धन और समृद्धि का देवता भी माना जाता है। सूर्य स्तुति का पाठ करने से भक्तों को आर्थिक समृद्धि और नौकरी-व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है।
शिक्षा और ज्ञान: सूर्य देव को ज्ञान का देवता भी माना जाता है। सूर्य स्तुति का पाठ करने से भक्तों को शिक्षा और ज्ञान में वृद्धि प्राप्त होती है।
आत्मिक उन्नति: सूर्य स्तुति का पाठ करने से भक्तों को आत्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
रविवार को सूर्य स्तुति का पाठ करने की क्या विधि है
रविवार को सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
एक चौकी पर सूर्य देव की प्रतिमा स्थापित करें।
दीप प्रज्वलित करें और धूप-दीप से सूर्य देव की आरती करें।
सूर्य देव को फल, फूल और मिठाई का भोग लगाएं।
शांत मन से सूर्य स्तुति का 11 या 21 बार पाठ करें।
पाठ के बाद, सूर्य देव से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें।