किसी भी काम में सफलता प्राप्ति के लिए कल करें ये उपाय, जानिए विजया एकादशी से जुड़ी जरूरी जानकारी

एकादशी के व्रत को शास्त्रों में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है

Update: 2021-03-08 10:02 GMT

एकादशी के व्रत को शास्त्रों में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. माना जाता है कि ये व्रत मनुष्य के पापों को दूर करता है और उनके जीवन को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है. एकादशी व्रत हर माह में दो बार रखा जाता है. हर एकादशी का अपना अलग महत्व है. कल यानी 9 जनवरी को विजया एकादशी है.


शास्त्रों में इस एकादशी को लेकर बताया गया है कि विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) का व्रत रखने से व्‍यक्ति को पूर्वजन्म और इस जन्‍म के सभी पापों से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है. अगर आपके जीवन में तमाम परेशानियां हैं और कई प्रयासों के बाद भी आपके काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं तो विजया एकादशी दिन आपको व्रत के साथ कुछ उपाय भी करने चाहिए. जानिए इस व्रत से जुड़ी पूरी जानकारी.

विशेष काम में सफलता के लिए
सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर सूर्य को गंगाजल अर्पित करें. इसके बाद श्री राम परिवार की पूजा करें. ग्यारह-ग्यारह केले, लड्डू, लाल फूल चढ़ाएं. ग्यारह चन्दन अगरबत्ती और दीपक जलाएं. ग्यारह खजूर और बादाम चढ़ाएं. इसके बाद मंत्र ॐ सिया पतिये राम रामाय नमः का जाप करें.

अच्छी नौकरी के लिए
यदि काफी समय से आप नौकरी की तलाश कर रहे हैं, लेकिन अच्छी नौकरी नहीं मिल पा रही तो कल के दिन एक उपाय करें. इसके लिए एक कलश रखें. कलश पर आम का पल्लव रखें. इस पर जौ से भरा पात्र रखें और एक दीपक जलाएं. 11 लाल फूल, 11 फल और मिठाई चढ़ाएं. इसके बाद सूर्य के कारक विष्णु देव और मां लक्ष्मी जी की पूजा करें. साथ ही मन्त्र ॐ नारायणाय लक्ष्म्यै नमः का जाप करें.

ऐसे रहें व्रत
किसी भी एकादशी व्रत के नियम दशमी की रात से ही शुरू हो जाते हैं. दशमी की शाम को सूर्यास्त से पहले सात्विक भोजन करने के बाद से ब्रह्मचर्य का पालन करें और द्वादशी के दिन तक ऐसा करें. एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें. दिन भर व्रत रखें, भगवान की विधिवत पूजा करें. व्रत कथा पढ़ें या सुनें और आरती गाएं. संभव हो तो एकादशी की रात में जागरण करके भगवान के भजन गाएं. व्रत का पारण एकादशी के अगले दिन सूर्योदय के बाद करना होता है. अगर इस व्रत को निर्जला किया जाए तो सर्वोत्‍तम माना जाता है. अगर क्षमता नहीं है तो पानी पी सकते हैं या फिर फल या कोई अन्य सात्विक चीजें लेकर व्रत रख सकते हैं. अगर आप पूरे साल हर एकादशी व्रत रखते हैं, तो सभी को एक ही नियम के साथ रहें.

जानें शुभ मुहूर्त
विजया एकादशी : दिन मंगलवार 9 मार्च 2021
एकादशी तिथि प्रारम्भ : दिन सोमवार 08 मार्च 2021 को दोपहर 03ः44 बजे
एकादशी तिथि समाप्त : दिन मंगलवार 09 मार्च 2021 को 03ः02 बजे
पारणा मुहूर्त : दिन बुधवार 10 मार्च सुबह 06ः37 बजे से 08ः59 बजे तक

ये है व्रत कथा
द्वापरयुग में धर्मराज युद्धिष्ठिर को फाल्गुन एकादशी के महत्व के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई. उन्होंने अपनी इस जिज्ञासा को भगवान श्रीकृष्ण के सामने प्रकट किया. तब भगवान श्रीकृष्ण ने फाल्गुन एकादशी के महत्व व कथा के बारे में बताते हुए कहा कि ये बात त्रेतायुग की है

जब भगवान श्रीराम ने माता सीता के हरण के पश्चात रावण से युद्ध करने के लिए सुग्रीव की सेना को साथ लेकर लंका की ओर प्रस्थान किया तो लंका से पहले विशाल समुद्र ने रास्ता रोक लिया. समुद्र में बहुत ही खतरनाक समुद्री जीव थे, जो वानर सेना को हानि पहुंचा सकते थे. चूंकि श्रीराम मानव रूप में थे, इसलिये वे इस गुत्थी को उसी रूप में सुलझाना चाहते थे.

उन्होंने लक्ष्मण से समुद्र पार करने का उपाय जानना चाहा तो लक्ष्मण ने कहा कि हे प्रभु वैसे तो आप सर्वज्ञ हैं, फिर भी यदि आप जानना ही चाहते हैं तो मुझे लगता है कि यहां से आधा योजन की दूरी पर वकदालभ्य मुनिवर निवास करते हैं, उनके पास इसका कुछ न कुछ उपाय हमें मिल सकता है.

फिर क्या था, भगवान श्रीराम उनके पास पंहुच गए. उन्हें प्रणाम किया और अपनी समस्या उनके सामने रखी. तब मुनि ने उन्हें बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को यदि आप समस्त सेना सहित उपवास रखें तो आप समुद्र पार करने में तो कामयाब हो जाएंगे.

साथ ही इस उपवास के प्रताप से आप लंका पर भी विजय प्राप्त करेंगे. समय आने पर मुनि वकदालभ्य द्वारा बताई गई विधिनुसार भगवान श्रीराम सहित पूरी सेना ने एकादशी का उपवास रखा और रामसेतु बनाकर समुद्र को पार कर रावण को परास्त किया.


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