प्रदोष व्रत में भगवान शंकर को प्रसन्न करने करें ये उपाय
फाल्गुन माह का पहला प्रदोष व्रत 28 मार्च दिन सोमवार को है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। फाल्गुन माह (Phalguna Month) का पहला प्रदोष व्रत 28 मार्च दिन सोमवार को है. पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा की जाती है. प्रदोष व्रत जिस दिन होता है, उस दिन का नाम उसके साथ जुड़ जाता है और वह उस दिन अनुसार फल देता है. सोमवार का प्रदोष व्रत सोम प्रदोष व्रत कहलाता है और यह व्रत करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. आइए जानते हैं कि प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि (Vrat And Puja Vidhi) के बारे में.
प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि
1. प्रदोष व्रत से एक दिन पूर्व से तामसिक भोजन का त्याग कर दें. व्रत के लिए शुद्धता को प्राथमिकता दें.
2. प्रदोष व्रत के दिन स्नान के बाद पूजा स्थान की सफाई कर लें. फिर व्रत एवं शिव पूजन का संकल्प कर लें. यदि आप प्रात:काल में पूजा करना चाहते हैं, तो सुबह 07:02 बजे से करें क्योंकि इस समय सर्वार्थ सिद्धि योग लग जाएगा. यदि प्रदोष काल में पूजा करनी है तो सुबह में दैनिक पूजा कर लें.
3. प्रदोष काल में शिव पूजा करनी है तो उसका मुहूर्त शाम 06:20 बजे से रात 08:49 बजे तक है. शाम को पूजा करनी है तो दिनभर फलाहार करें, भगवान शिव की भक्ति में समय व्यतीत करें.
4. शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की तस्वीर घर पर स्थापित कर लें या शिव मंदिर में शिवलिंग की पूजा करें. सबसे पहले गंगाजल और गाय के दूध से शिव जी का अभिषेक करें. फिर उनको अक्षत्, बेलपत्र, सफेद चंदन, भांग, धतूरा, भस्म, शहद, शक्कर, सफेद फूल, फल आदि ओम नम: शिवाय मंत्र जाप के साथ अर्पित करें.
5. इसके पश्चात शिव जी को धूप, दीप, गंधा आदि अर्पित करें. फिर शिव चालीसा और सोम प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें. आप चाहें तो किसी शिव मंत्र का जाप 108 बार कर सकते हैं.
6. पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें. भगवान शिव से अपनी मनोकामना व्यक्त कर उनसे क्षमा प्रार्थना कर लें. फिर प्रसाद वितरण करें. व्रत में दान करने का महत्व होता है, इसलिए आप किसी ब्राह्मण या गरीब को दान की वस्तुएं निकाल कर अलग रख दें. सुबह में उसे दे दें.
7. दान के बाद अगले दिन प्रात: स्नान और पूजा के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें. कुछ लोग व्रत वाले दिन ही रात में पूजा के बाद पारण कर लेते हैं. यदि आपके यहां ऐसा है, तो वैसे ही करें.
8. शिव मंदिर में पूजा करते हैं तो शिव परिवार के साथ गण नंदी की भी पूजा करें. नंदी भगवान शिव के सबसे प्रिय गण हैं.
1. प्रदोष व्रत से एक दिन पूर्व से तामसिक भोजन का त्याग कर दें. व्रत के लिए शुद्धता को प्राथमिकता दें.
2. प्रदोष व्रत के दिन स्नान के बाद पूजा स्थान की सफाई कर लें. फिर व्रत एवं शिव पूजन का संकल्प कर लें. यदि आप प्रात:काल में पूजा करना चाहते हैं, तो सुबह 07:02 बजे से करें क्योंकि इस समय सर्वार्थ सिद्धि योग लग जाएगा. यदि प्रदोष काल में पूजा करनी है तो सुबह में दैनिक पूजा कर लें.
3. प्रदोष काल में शिव पूजा करनी है तो उसका मुहूर्त शाम 06:20 बजे से रात 08:49 बजे तक है. शाम को पूजा करनी है तो दिनभर फलाहार करें, भगवान शिव की भक्ति में समय व्यतीत करें.
4. शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की तस्वीर घर पर स्थापित कर लें या शिव मंदिर में शिवलिंग की पूजा करें. सबसे पहले गंगाजल और गाय के दूध से शिव जी का अभिषेक करें. फिर उनको अक्षत्, बेलपत्र, सफेद चंदन, भांग, धतूरा, भस्म, शहद, शक्कर, सफेद फूल, फल आदि ओम नम: शिवाय मंत्र जाप के साथ अर्पित करें.
5. इसके पश्चात शिव जी को धूप, दीप, गंधा आदि अर्पित करें. फिर शिव चालीसा और सोम प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें. आप चाहें तो किसी शिव मंत्र का जाप 108 बार कर सकते हैं.
6. पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें. भगवान शिव से अपनी मनोकामना व्यक्त कर उनसे क्षमा प्रार्थना कर लें. फिर प्रसाद वितरण करें. व्रत में दान करने का महत्व होता है, इसलिए आप किसी ब्राह्मण या गरीब को दान की वस्तुएं निकाल कर अलग रख दें. सुबह में उसे दे दें.
7. दान के बाद अगले दिन प्रात: स्नान और पूजा के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें. कुछ लोग व्रत वाले दिन ही रात में पूजा के बाद पारण कर लेते हैं. यदि आपके यहां ऐसा है, तो वैसे ही करें.
8. शिव मंदिर में पूजा करते हैं तो शिव परिवार के साथ गण नंदी की भी पूजा करें. नंदी भगवान शिव के सबसे प्रिय गण हैं.