मकर, कुंभ, धनु, मिथुन, तुला वाले भैरव बाबा को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय, मिलेगी भय से मुक्ति

Update: 2021-11-27 02:20 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मार्गशीष कृष्ण अष्टमी के दिन काल भैरव जयंती का पावन पर्व मनाया जाता है। इस साल 27 नवंबर को काल भैरव जयंती है। धार्मिक कथाओं के अनुसार मार्गशीष अष्टमी को भगवान शिव ने काल भैरव के रूप में अवतार लिया था। काल भैरव भगवान शिव के रौद्र, विकराल एवं प्रचण्ड स्वरूप हैं। इस दिन भैरव जी के साथ शिव और मां पार्वती की भी पूजा की जाती है। काल भैरव की पूजा- अर्चना करने से सभी तरह के दुख- दर्द दूर हो जाते हैं। इस समय मकर, कुंभ, धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती और मिथुन, तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या लगने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति के लिए काल भैरव जयंती के पावन दिन विधि- विधान से भगवान भैरव की पूजा- अर्चना करनी चाहिए।

भैरव बाबा को ऐसे करें प्रसन्न-
प्रात कालः स्नान आदि के बाद भैरव जी के मन्दिर में जाकर उनकी पूजा करनी चाहिए और भैरव के वाहन कुत्ते को पूएं खिलाना चाहिए। भगवान भैरव को इमरती, जलेबी, उड़द, पान, नारियल का भोग लगाएं। भैरव जी को काशी का कोतवाल माना जाता है। भैरव के पूजा से राहु ग्रह भी शान्त हो जाते है और बुरे प्रभाव शत्रु भय का नाश होता है।
इस विधि से करें काल भैरव जयंती पर पूजा- अर्चना-
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत रखें।
घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें।
भगवान भैरव की पूजा- अर्चना करें।
इस दिन भगवान शंकर की भी विधि- विधान से पूजा- अर्चना करें।
भगवान शंकर के साथ माता पार्वती और गणेश भगवान की पूजा- अर्चना भी करें।
आरती करें और भगवान को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
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