ऐसे करें मां कूष्मांडा की आरती, साथ ही जानें बीज मंत्र

नवरात्र के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि मां कूष्मांडा देवी की पूजा करने से हर तरह के दुखों से छुटकारा मिल सकता है

Update: 2022-09-29 06:02 GMT

नवरात्र के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि मां कूष्मांडा देवी की पूजा करने से हर तरह के दुखों से छुटकारा मिल सकता है और धन संपदा की प्राप्ति होती है। अष्टभुजा वाली मां कूष्मांडा को लाल रंग काफी प्रिय है। इसलिए आज के लिए मां के चरणों में गुड़हल का फूल अवश्य चढ़ाएं। इसके साथ ही माता की पूजा करने के साथ दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के साथ स्तुति मंत्र और आरती जरूर पढ़ लें।

मां कूष्मांडा की स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कूष्मांडा की प्रार्थना

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

मां कूष्मांडा बीज मंत्र

ऐं ह्री देव्यै नम:

मां ​कूष्मांडा की आरती (Maa Kushmanda Ki Aarti)

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।

मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।

शाकंबरी मां भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे।

भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे।

सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।

पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

मां के मन में ममता भारी।

क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।

दूर करो मां संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।

मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।

भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥


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