इस प्रकार करें शनि प्रदोष व्रत पूजा...शिवजी होंगे प्रसन्न

हर माह की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है।

Update: 2020-12-12 02:54 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | हर माह की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। यह व्रत शिवजी को समर्पित है। पुराणों के अनुसार, जो भक्त इस दिन व्रत करते हैं उन्हें लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। जो प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ता है उसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। शनि प्रदोष व्रत के दिन शिवजी के साथ शनिदेव की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। इस वर्ष का आखिरी प्रदोष व्रत आज है। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की पूजा कैसे करें।

शनि प्रदोष व्रत पर ऐसे करें पूजा:

इस दिन शाम के समय शिवजी की पूजा की जाती है। इस दिन शाम के समय शिव मंदिरों में मंत्रों का जाप भी किया जाता है। शनि प्रदोष के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं। फिर स्नानादि से निवृत्त हो साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध कर लें। फिर शिवजी को बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि अर्पित करें। इसके बाद ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। शिवजी को जल अर्पित करें। सरसों के तेत का दिया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं। एक दिया शनिदेव के मंदिर में भी जलाएं। त्रयोदशी तिथि पर ही व्रत का उद्यापन करें।

शनि प्रदोष व्रत का महत्व:

हिंदू धर्म में शनि प्रदोष व्रत का महत्व बहुत ज्यादा है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है उसे भोलेनाथ और शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही इससे व्यक्ति के जीवन के समस्त दुख मिट जाते हैं। वहीं, मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार, भगवान शिव प्रदोष के समय कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं। इसके चलते ही शिवजी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन लोग प्रदोष व्रत करते हैं।


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