इन मुहूर्त में भूलकर भी न करें करवा चौथ की पूजा, पढ़े पावन व्रत कथा
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को महिलाएं करवा चौथ व्रत रखती हैं। करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के अखंड प्रेम और त्याग की भावना को दर्शाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को महिलाएं करवा चौथ व्रत रखती हैं। करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के अखंड प्रेम और त्याग की भावना को दर्शाता है। इस साल करवा चौथ व्रत आज यानी 24 अक्टूब, रविवार को है। इस दिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखकर भगवान शंकर और माता पार्वती से अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करती हैं। महिलाएं शाम के समय चंद्रमा दर्शन और अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं। करवा चौथ व्रत के दौरान महिलाएं करवा चौथ व्रत कथा पढ़ती या सुनती हैं। आप भी पढ़ें करवा चौथ व्रत कथा-
इन मुहूर्त में न करें करवा चौथ की पूजा-
राहुकाल- शाम को 4 बजकर 30 मिनट से 6 बजे तक।
गुलिक काल- दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक।
यमगंड- दोपहर 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक।
दुर्मुहूर्त काल- शाम 4 बजकर 13 मिनट से 4 बजकर 58 मिनट तक।
करवा चौथ व्रत कथा-
प्राचीन समय में करवा नामक स्त्री अपने पति के साथ एक गांव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान करने गया। नदी में मगरमच्छ उसका पैर पकड़कर अंदर ले जाने लगा। तब पति ने अपनी सुरक्षा के निमित्त अपनी पत्नी करवा को पुकारा। उसकी पत्नी ने भागकर पति की रक्षा के लिए एक धागे से मगरमच्छ को बांध दिया। धागे का एक सिरा पकड़कर उसे लेकर पति के साथ यमराज के पास पहुंची। करवा ने बड़े ही साहस के साथ यमराज के प्रश्नों का उत्तर दिया।
यमराज ने करवा के साहस को देखते उसके पति को वापस कर दिया। साथ ही करवा को सुख-समृद्धि का वर दिया और कहा 'जो स्त्री इस दिन व्रत करके करवा को याद करेगी, उनके सौभाग्य की मैं रक्षा करूंगा। कहा जाता है कि इस घटना के दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। तभी से करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा चली आ रही है।