मां कालरात्रि की पूजा के दौरान न करे ये गलती
नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां
नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा (Maa Kalratri Puja) और अर्चना की जाती है. आपको बता दें कि मां के इसी स्वरूप के कारण ही इनका नाम कालरात्रि पड़ा. क्योंकि इनका वर्ण अंधकार की भांति एकदम काला है. गौरतलब है कि सप्तमी तिथि की पूजा सुबह में नवरात्रि में अन्य दिनों की तरह ही होती है, लेकिन रात्रि में विशेष पूजन विधान के साथ मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. मान्यता है कि माता का यह स्वरूप उपासकों को काल से भी बचाता है अर्थात उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती. कालरात्रि (Maa Kalratri Puja) की विधि विधान से साधना करने से आपके जीवन के समस्त कष्ट मिट जाते हैं. लेकिन मां कालरात्रि की पूजा में कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए, वरना पूजा में होने से माता आपसे नाराज भी हो सकती हैं.
मां कालरात्रि की पूजा के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां –
1- मां की पूजा करते समय आपको साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. गंदगी में की गई पूजा माता बिल्कुल स्वीकार नहीं करती हैं.
2- माता कालरात्रि (Maa Kalratri Puja) को लगाए जाने वाला भोग गलती से भी जूठा नहीं होना चाहिए, वरना आपको माता के क्रोध का शिकार होना पड़ सकता है.
3- मां दुर्गा को कभी भी लहसुन प्याज से युक्त भोग बनाकर नहीं चढ़ाना चाहिए. ऐसा करना अशुभ साबित हो सकता है.
4- माता की पूजा एक बार शुरू करने के बाद कभी बीच में नहीं रोकनी चाहिए. ऐसा करने से माता नाराज हो जाती हैं, जिसके फलस्वरूप आपको कई प्रकार के कष्ट झेलने पड़ सकते हैं.
5- किसी भी पूजा में अक्षत यानी चावल का स्थान प्रमुख होता है. लेकिन माता कालरात्रि (Maa Kalratri Puja) के पूजन में अक्षत के प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए. दरअसल, अक्षत चढ़ाते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि चावल के दाने टूटे यानी खंडित न हों. पूजा में खंडित चावल का इस्तेमाल अशुभ माना जाता है.
6- माता कालरात्रि की पूजा में कभी भी बासी फूल नहीं चढ़ाने चाहिए. हमेशा साफ स्वच्छ और ताजे फूलों को ही चढ़ाना चाहिए. इसके अलावा ध्यान रहे कोशिश भर में माता को लाल फूल चढ़ाने चाहिए. जिनमें कमल, गुड़हल, गुलाब, गेंदा के फूल शामिल हैं, लेकिन इस दौरान ध्यान रखें कि कनेर, धतूरा और मदार के पुष्प भूल भूलकर भी न चढ़ाएं.