मंगलवार को हनुमान जी की पूजा में जरूर करें दीपदान, पूरी होगी मनोकामना
कलयुग में हनुमान की उपासना अत्यंत मंगलकारी मानी गई है.
कलयुग में हनुमान की उपासना अत्यंत मंगलकारी मानी गई है. मंगलवार को हनुमान जी की विशेष पूजा का दिन माना जाता है. इस दिन हनुमान जी की पूजा करने पर वे शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं जो प्रत्येक काल में मौजूद रहे हैं. जिनकी उपासना हर वर्ग के लोग करते हैं, क्योंकि ये तत्काल फल देने वाले हैं. हनुमानजी का मुख वानर का है. जिसमें करोड़ों सूर्य के समान तेज व्याप्त है. उनके शरीर की कान्ति बड़ी तेज होने पर भी भक्तों के जन्म-मरण भय को दूर करने वाली है. हनुमानजी बड़े कृपालु हैं और शीघ्र ही अपने भक्तों की मुराद पूरी करते हैं. आइए जानते हैं कि हनुमान जी की पूजा में दीपदान का क्या महत्व है.
हनुमान जी को दीपदान करने का महत्व
हनुमान जी की साधना-आराधना में दीपदान का बहुत महत्व है. पवनपुत्र हनुमान जी को प्रतिदिन विधि-विधान से दीपदान करने वाले साधक को तीनों लोकों में ऐसा कुछ भी दुर्लभ नहीं जो उसे प्राप्त न हो सके. महावीर हनुमान जी को दीपदान करने के लिए उड़द, गेहूं, मूंग, तिल, चावल (तंडुल) से बने आटे का दीप ही दान करना चाहिए. ऐसा दीप दान करने से सभी मनोरथ पूरे होते हैं.
मनोकामना के अनुसार करें दीपदान
कन्या प्राप्ति के लिए लौंग, कपूर, इलायची का दीपक मंगलवार के दिन आंगन साफ करके जलाएं. इस प्रकार से दीप दान करने से शुभत्व की प्राप्ति और मनोकामना पूर्ण होती है .
हनुमानजी के लिए दीपदान की बाती हमेशा लाल सूत (धागे) की होनी चाहिए.
हनुमान जी की पूजा में भी लाल वस्त्र व लाल पुष्प प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि हनुमानजी को लाल रंग प्रिय है.
स्फटिक शिला से युक्त शिवलिंग के निकट अथवा शालिग्राम के निकट हनुमानजी के निमित्त दीपदान करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
विघ्न दूर करने हेतु हनुमानजी के निमित्त गणेशजी के निकट स्थित हनुमान जी की मूर्ति पर दीपदान करना चाहिए.
विष, व्याधि को दूर करने के लिए हनुमत् विग्रह के समीप दीपदान करना चाहिए.
क्रूर ग्रहों के अनिष्ट के लिए हनुमान जी के नाम से चौराहे पर दीपदान करना चाहिए.
विभिन्न बाधाओं के निवाराणार्थ राजद्वार पर हनुमानजी के निमित्त दीपदान करें.
विदेश गए व्यक्ति के आगमन हेतु, बच्चे की रक्षा, चोर आदि के भय नाश हेतु गाय के गोबर का दीपदान करना चाहिए.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)