चतुर्थी को इस तरह करें गणपति पूजा, जानिए विधि एवं पूजा सामग्री

हिंदी पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी पड़ती है। इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में पूजा जाता है।

Update: 2021-06-12 02:31 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हिंदी पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी पड़ती है। इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में पूजा जाता है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 14 जून दिन सोमवार को है। इस दिन विनायक चतुर्थी है। हिंदू संस्कृति में किसी भी कार्य की सफलता हेतु सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। गणेश पूजा से सुख, समृद्धि और यश प्राप्त होता है। गणपति हमें सभी संकट से दूर रखते हैं। इन्हें ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। बेसन के मोदक गणपति श्री गणेश को बहुत ही प्रिय हैं। अतः विनायक चतुर्थी को इसका प्रसाद जरूर वितरण करना चाहिए।

विनायक चतुर्थी की पूजा सामग्री
विनायक चतुर्थी पर पूजा से पहले इन सामग्रियों को एकत्रित कर लेना चाहिए। इसमें पूजा के लिए लकड़ी की चौकी, लाल कपड़ा, गणेश प्रतिमा, कलश, पंचामृत, रोली, अक्षत्, कलावा, जनेऊ, गंगाजल, इलाइची, लौंग, चांदी का वर्क, नारियल, सुपारी, पंचमेवा, घी, मोदक और कपूर। विनायक चतुर्थी व्रत से प्रभु की कृपा और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
पूजा शुरू करने से पहले नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर पवित्र आसन पर बैठना चाहिए। इसके अलावा सभी पूजन सामग्री पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि एकत्रित कर क्रमश: पूजा करें। भगवान श्रीगेश को तुलसी नहीं चढ़ाना चाहिए। उन्हें शुद्ध स्थान से चुनी हुई दूर्वा को धोकर चढ़ाना चाहिए।
श्री गणेश भगवान को मोदक बहुत ही प्रिय हैं, इसलिए देशी घी से बने मोदक का प्रसाद भी चढ़ाना चाहिए। विनायक चतुर्थी व्रत व पूजा के समय किसी प्रकार का क्रोध और गुस्सा नहीं करना चाहिए। यह हानिप्रद सिद्ध हो सकता है।
श्री गणेश का ध्यान करते हुए मन को सात्विक रखना और प्रसन्न रहना चाहिए। पूजा के उपरांत सभी देवी-देवताओं का स्मरण करें। सभी अतिथि व भक्तों स्वागत करें। पूजा के अंत में गणेश जी की आरती करें। गणेश जी से अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें। फिर प्रसाद वितरण करें।


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