नवरात्रि में जरूर करें मां दुर्गा के इन विशेष मंत्रों का जाप, आपकी हर मनोकामना होगी पूरी

शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ आज 07 अक्टूबर दिन गुरुवार से है। इस वर्ष 07 अक्टूबर से प्रारंभ होकर नवरात्रि का समापन 15 अक्टूबर को विजयादशमी से होगा।

Update: 2021-10-07 03:12 GMT

शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ आज 07 अक्टूबर दिन गुरुवार से है। इस वर्ष 07 अक्टूबर से प्रारंभ होकर नवरात्रि का समापन 15 अक्टूबर को विजयादशमी से होगा। नवरात्रि का समय मां दुर्गा को प्रसन्न करने का शुभ अवसर होता है। इन नौ दिनों में आप मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की विधिपूर्वक आराधना करके उनको प्रसन्न कर सकते हैं। इसके लिए आपको व्रत रखने के साथ पूजा के समय मां दुर्गा के 9 स्वरुपों के बीज मंत्रों का भी जाप करना चाहिए। मां दुर्गा के बीज मंत्रों का जाप करने से मां दुर्गा की कृपा आप पर होगी और आप की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इस नवरात्रि आप मां दुर्गा के इन बीज मंत्रों के जाप से लाभ उठा सकते हैं। जागरण अध्यात्म में जानते हैं मां दुर्गा के इन बीज मंत्रों के बारे में।

नवरात्रि 2021: मां दुर्गा के बीज मंत्र
1. मां शैलपुत्री बीज मंत्र: ह्रीं शिवायै नम:।
प्रार्थना मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
2. मां ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
प्रार्थना मंत्र
दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
स्तुति मंत्
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
3. मां चन्द्रघण्टा बीज मंत्र: ऐं श्रीं शक्तयै नम:

प्रार्थना मंत्र

सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

6. मां कात्यायनी बीज मंत्र: क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।

प्रार्थना मंत्र

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

7. मां कालरात्रि बीज मंत्र: क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।

प्रार्थना मंत्र

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।

वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

8. मां महागौरी बीज मंत्र: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

प्रार्थना मंत्र

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

9. मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र: ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

प्रार्थना मंत्र

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


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