आपके घर में सूरन या जिमीकंद की सब्जी आम दिनों में कम ही बनती होगी लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दिवाली के दिन ज्यादातर घरों में इसकी सब्जी क्यों बनाई जाती है. खासकर उत्तर प्रदेश के अधिकतर घरों में दिवाली के दिन सूरन या जिमीकंद की सब्जी अनिवार्य रूप से बनाई जाती है. इस खबर में हम सालों से चली आ रही इस प्रथा के पीछे की असल वजह जानेंगे. इसके साथ हम जानेंगे कि सूरन हमारे शरीर के लिए किस तरह से फायदेमंद है.
कहां से आई यह परंपरा?
ऐसा माना जाता है कि हिंदू धर्म में सूरन की सब्जी का चलन बनारस यानी काशी से शुरू हुआ. बनारस के हर घर में दिवाली के दिन सूरन सब्जी अनिवार्य रूप से बनती है. सूरन ऐसी सब्जी जो आलू के जैसे ही मिट्टी के नीचे उगती है. इसकी जड़ को जमीन से निकालते वक्त उसके कुछ अंश जमीन में रह जाता है जिससे अगली दिवाली तक दोबारा सूरन तैयार हो जाता है. दिवाली के दिन इसकी सब्जी बनाने की प्रथा को घर की खुशहाली और प्रगति से जोड़कर देखा जाता है. इसका एक और बड़ा कारण ये है कि सूरन की पैदावार दिवाली के समय ही होती है.
सेहत के लिए है फायदेमंद
हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि सूरन या जिमीकंद की सब्जी में एंटीऑक्सीडेंट्स और बीटा केरोटीन काफी मात्रा में पाया जाता है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है. इसके अलावा इसमें कई जरूरी विटामिन, कैलोरी, फैट, कार्ब्स, प्रोटीन और पोटेशियम समेत घुलनशील फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. सूरन के इस्तेमाल से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित होता है क्योंकि इसमें ग्लूकोज काफी कम मात्रा में पाया जाता है.