वास्तु अनुसार पीपल का पेड़ घर में लगाने के नुकसान
कई लोगों का ऐसा मानना है कि पीपल के वृक्ष पर भूत रहता है जबकि यह एक अंधविश्वास है।
पीपल के वृक्ष को हिन्दू धर्म से सबसे पवित्र वृक्ष माना जाता है। इस वृक्ष का साक्षात विष्णु भगवान का रूप माना जाता है। श्रीकृष्ण ने गीता में कहा भी है कि वृक्षों में मैं पीपल हूं। लेकिन ऐसी प्रचलित मान्यता है कि घर के आंगन में या घर के पास पीपल का वृक्ष नहीं लगाना चाहिए। हालांकि यह मान्यता क्यों प्रचलित है?
पीपल का पेड़ घर में लगाने के नुकसान |
1. कहते हैं कि यह वृक्ष 24 घंटे ऑक्सीजन देता है। शरीर को यदि जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है तो भी नुकसान दायक है। शायद इसलिए यह मान्यता प्रचलित हो गई होगी। अतिरिक्त ऑक्सीजन बच्चों की सेहत के लिए सही नहीं मानी जाती है।
2. कई लोगों का ऐसा मानना है कि पीपल के वृक्ष पर भूत रहता है जबकि यह एक अंधविश्वास है। इस अंधविश्वास के चलते भी लोग घर के पास पीपल नहीं लगाते होंगे। जबकि यह सही नहीं है।
3. पीपल का पेड़ इसलिए भी घर में नहीं लगाते हैं क्योंकि इसकी जड़े भीतर और दूर तक फैलती है जिससे घर की नींव को खतरा होने की संभावना रहती है।
4. यदि पीपल घर के पास या आंगन में है तो इसकी कटाई छटाई नहीं कर सकते हैं, क्योंकि इससे पाप और दोष लगता है। इस वृक्ष को स्वाभाविक रूप से ही बढ़ने देते हैं।
5. यदि आपके घर की दीवार पर या पास में कहीं पीपल का पौधा उग आया है तो इसे सावधानी से निकालकर कहीं ओर रोपित कर सकते हैं। उखाड़कर फेंकने से दोष लगता है और भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
6. मान्यता है कि पीपल के पेड़ को यदि उचित दिशा में नहीं लगाया है तो इससे धन हानि होती है।
7. वास्तु के अनुसार पीपल की घर पर एक निश्चित दिशा से छाया पड़ रही है तो इससे छायाभेद उत्पन्न होता है। इससे घर परिवार की उन्नति में बाधा पैदा होती है।
8. यह भी कहते हैं कि पीपल का पेड़ अपने चारों ओर एक निश्चित दूरी तक एकांत पैदा करता है, जिसके चलते घर में संकट पैदा हो सकता है और अल्पायु के योग बन सकते हैं।
9. घर की पूर्व दिशा में लगा पीपल नुकसान देता है।
10. प्रातः 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक यदि किसी वृक्ष की छाया मकान पर पड़ती है तो ही यह नुकसान दायक होती है। इसमें भी दिशा का ज्ञान होना जरूरी है। इस वेध से उन्नति रुक जाती है। घर की आग्नेय दिशा में वट, पीपल, सेमल, पाकर तथा गूलर का वृक्ष होने से पीड़ा और मृत्यु होती है। नकारात्मक वृक्षों की छाया से रोग और शोक निर्मित होते हैं।