भगवान कृष्ण का प्रिय अगहन मास आज से शुरू, जानिए इस महीने का महत्व और नियम

Update: 2022-11-13 03:54 GMT

कार्तिक पूर्णिमा तिथि के समापन के बाद आज से यानी 9 नवंबर से मार्गशीर्ष माह की शुरुआत हो रही है। इस मास का महत्व बताते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि मार्गशीर्ष माह उनका ही स्वरूप है। अगहन के महीने में श्रीकृष्ण का ध्यान और उपासना सच्चे मन से करने पर सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही अमोघ फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिष के अनुसार इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है। पंचांग के अनुसार 27 नक्षत्र होते हैं,जिसमें से एक मृगशिरा नक्षत्र भी है। इस महीने में आने वाली पूर्णिमा तिथि मृगशिरा नक्षत्र में होती है। इसी कारण इस मास को अगहन मास के साथ-साथ मार्गशीर्ष मास के नाम से भी जाना जाता है।

अगहन मास का महत्व

स्कंदपुराण के अनुसार,भगवान की कृपा प्राप्त करने की कामना रखने वाले श्रद्धालुओं को अगहन मास में धार्मिक नियमों का पालन करना चाहिए। इस माह में किए गए व्रत-उपवास से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। पुराणों के मुताबिक इस महीने कम से कम तीन दिन तक ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करने से प्राणी की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। स्त्रियों के लिए यह स्नान उनके पति की लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य देने वाला माना गया है। इस महीने में शंख पूजन का विशेष महत्व है। साधारण शंख को श्रीकृष्ण को पाञ्चजन्य शंख के समान समझकर उसकी पूजा करने से सुख-सौभाग्य प्राप्त होता है। अगहन मास में जप,तप,ध्यान एवं दान करना शीघ्र फलदाई माना गया है। भगवान श्री कृष्ण की भक्ति और उनके मंत्रों का जाप करना इस माह में बहुत पुण्यदायी है।

इसलिए भी कहते हैं मार्गशीर्ष मास

अगहन मास को मार्गशीर्ष कहने के पीछे कई कारण हैं। इनमें पहला कारण भगवान कृष्ण से जुड़ा है। श्रीकृष्ण की पूजा कई नामों से होती है। इन्हीं में एक मार्गशीर्ष भी श्रीकृष्ण का ही नाम है। इस महीने को मगसर,अगहन या अग्रहायण भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत के अनुसार, श्रीकृष्ण ने कहा है मासानां मार्गशीर्षोऽहम् अर्थात् सभी महिनों में मार्गशीर्ष श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। मार्गशीर्ष मास में श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त पुण्य के बल पर हमें सभी सुखों की प्राप्ति होती है।


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