Dattatreya Jayanti 2021:18 दिसंबर को मनाई जाएगी दत्तात्रेय जयंती, जानें तिथि,मुहूर्त और पूजन विधि

भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का स्वरूप माना जाता है

Update: 2021-12-16 13:36 GMT

Dattatreya Jayanti 2021: भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का स्वरूप माना जाता है। महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के पुत्र भगवान दत्तात्रेय तीन मुखधारी है। जिनके तीनों मुख त्रिदेवों के प्रतीक है। सनातन धर्म की संयास परम्परा में भगवान दत्तात्रेय का विशिष्ट स्थान है। इन्हें श्री हरि विष्णु का अंशावतार माना जाता है। दत्तात्रेय भगवान की जयंती मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस साल दत्तात्रेय जंयती 18 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान दत्तात्रेय का पूजन और मंत्र जाप करने से कर्म बंधन से मुक्ति मिलती है, सभी तरह के रोग-दोष और बाधाओं का नाश होता है। आईए जानते हैं दत्तात्रेय जयंती की सही तिथि और पूजन का मुहूर्त तथा विधि के बारे में....

दत्तात्रेय जयंती की तिथि और मुहूर्त
पौराणिक मान्यता अनुसार भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष या अगहन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन हुआ था। इनका पूजन प्रदोष काल में करने का विधान है। पंचांग गणना के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा की तिथि 18 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 24 मिनट पर शुरू हो रही है जो कि 19 दिसंबर को 10 बजकर 06 मिनट तक रहेगी। इस आधार पर दत्तात्रेय जयंती 18 दिसंबर, दिन शनिवार को मनाई जाएगी। भगवान दत्तात्रेय के पूजन के लिए सबसे शुभ समय प्रदोष काल है।
दत्तात्रेय जयंती की पूजा विधि
पौराणिक कथा के अनुसार माता अनुसूया के सतीत्व परीक्षण के वरदान स्वरूप त्रिदेवों के अंश दत्तात्रेय को पुत्र के रूप में जन्म दिया। इस दिन भगवान दत्तात्रेय के पूजन के लिए सफेद रंग के आसन पर उनके चित्र या विग्रह की स्थापना करें। सबसे पहले गंगा जल से अभिषेक कर, धूप,दीप,फल, फूल आदि अर्पित करें। भगवान दत्तात्रेय के पूजन में इनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन अवधूत गीता और जीवनमुक्ता गीता पढ़ने का विधान है। ऐसा करने से आपके जीवन के सभी दुख दूर होते हैं।
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