निर्जला एकादशी की तिथि को लेकर कंफ्यूजन, जानिए किस दिन रखा जाएगा व्रत

हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व है। प्रतिवर्ष 24 एकादशी पड़ रही है। इस तरह हर माह 2 एकादशी पड़ती हैं पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

Update: 2022-06-08 05:04 GMT

हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व है। प्रतिवर्ष 24 एकादशी पड़ रही है। इस तरह हर माह 2 एकादशी पड़ती हैं पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसे निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी को सभी एकादशियों में से सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। क्योंकि यह भगवान विष्णु की प्रिय एकादशी है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग पारण करने के बाद ही जल ग्रहण करते हैं। इस कारण इसे काफी कठिन एकादशी माना जाता है। इस बार निर्जला एकादशी की तिथि को लेकर काफी कंफ्यूजन है। क्योंकि एकादशी तिथि 10 जून को उदया तिथि पर शुरू हो नहीं हो रही हैं वहीं 11 जून को द्वादशी तिथि का क्षय है। जानिए आखिर किस दिन निर्जला एकादशी का व्रत रखना होगा शुभ।

निर्जला एकादशी की शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी प्रारंभ- 10 जून 2022, शुक्रवार सुबह 7 बजकर 28 मिनट से शुरू

एकादशी समाप्त- 11 जून को ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी सुबह 5 बजकर 46 मिनट तक पश्चात द्वादशी शुरू हो जाएगी जो सुबह 3 बजकर 24 मिनट तक रहेगी।

ऐसे में निर्जला एकादशी 10 और 11 जून दोनों दिन पर पहुंचने के कारण व्रत दोनों दिन रखा जा सकेगा। हालांकि निर्जला एकादशी व्रत 11 जून, शनिवार को करना उत्तम माना जा रहा है।

निर्जला एकादशी का महत्व

निर्जला एकादशी को काफी विशेष माना जाता है। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ दिनभर बिना जल ग्रहण किए व्रत रखा जाता है। इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से जानते हैं क्योंकि इस निर्जला एकादशी को पांडव पुत्र भीम ने रखा था। लेकिन वह मूर्छित हो गए थे। इस कारण इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। सुख-समृद्धि, सौभाग्य और खुशहाली का आशीर्वाद मिलने के साथ हर कष्ट से छुटकारा मिल जाता है।


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