घर में पौण्ड्र शंख रखे होने से बढ़ता है आत्मविश्वास
पोंड्रिक या पौण्ड्र शंख महाभारत में भीम के पास था। इसका आकर बहुत विशाल था
शंख को समुद्रज, कंबु, सुनाद, पावनध्वनि, कंबु, कंबोज, अब्ज, त्रिरेख, जलज, अर्णोभव, महानाद, मुखर, दीर्घनाद, बहुनाद, हरिप्रिय, सुरचर, जलोद्भव, विष्णुप्रिय, धवल, स्त्रीविभूषण, पाञ्चजन्य, अर्णवभव आदि नामों से भी जाना जाता है। स्वस्थ काया के साथ माया देते हैं शंख। शंख दैवीय के साथ-साथ मायावी भी होते हैं। शंखों का हिन्दू धर्म में पवित्र स्थान है। घर या मंदिर में शंख कितने और कौन से रखें जाएं इसके बारे में शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख मिलता है। शिवलिंग और शालिग्राम की तरह शंख भी कई प्रकार के होते हैं सभी तरह के शंखों का महत्व और कार्य अलग-अलग होता है। समुद्र मंथन के समय देव- दानव संघर्ष के दौरान समुद्र से 14 अनमोल रत्नों की प्राप्ति हुई। जिनमें आठवें रत्न के रूप में शंखों का जन्म हुआ। आओ जानते हैं पोंड्रिक या पौण्ड्र शंख के फायदे।