Christmas 2021 : सफेद दाढ़ी वाला सेंटा कैसे अस्तित्व में आया, जानिए

हर साल क्रिसमस के त्योहार पर लाल कपड़े और लाल टोपी पहने हुए सफेद दाढ़ी वाला सेंटा जगह जगह दिखाई दे जाता है. लेकिन सेंटा का ये नया रूप कैसे अस्तित्व में आया, यहां जानिए इसके बारे में.

Update: 2021-12-22 02:41 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। क्रिसमस का पर्व ईसाह मसीह के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है. लेकिन ये त्योहार सेंटा के बगैर अधूरा है. सेंटा क्लॉज का नाम सुनते ही आखों के सामने एक ऐसे शख्स की इमेज क्रिएट होती है जिसकी सफेद लंबी सी दाढ़ी है. लाल रंग के कपड़े पहनता है, सिर पर टोपी लगाता है और हाथ में एक पोटली लिए रहता है ​जिसमें ढेर सारे गिफ्ट्स रखे होते हैं.

सेंटा का ये रूप बच्चों को बहुत पसंद है, इसलिए क्रिसमस के​ दिन जगह जगह सेंटा के कपड़े, टोपी लगाए बच्चे आपको तमाम जगह मिल जाएंगे. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या ये सेंटा एक कल्पना मात्र है, या वाकई इस तरह का कोई सेंटा पहले कभी रहा होगा ? आखिर कैसे सफेद दाढ़ी वाला ये सेंटा कैसे अस्तित्व में आया, यहां जानिए इसके बारे में.
अमेरिका के कार्टूनिस्ट ने बनाया था सेंटा का कार्टून
सेंटा का जिक्र सबसे पहले सन 1821 की किताब 'अ न्यू ईयर गिफ्ट' की एक कविता में किया गया था. इसमें सेंटा की एक तस्वीर भी छपी थी. इस सेंटा ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा, लेकिन इस सेंटा का हुलिया आज के सेंटा से एकदम अलग था. जिस सेंटा को हम आज के समय में देखते हैं, उसे लोकप्रिय बनाने का काम किया था पॉलिटिकल कार्टूनिस्ट थॉमस नैस्ट ने. थॉमस नैस्ट अमेरिका के पॉलिटिकल कार्टूनिस्ट थे और हार्पर्स वीकली के लिए कार्टून बनाया करते थे. 3 जनवरी 1863 को पहली बार उनका बनाया हुआ दाढ़ी वाला सेंटा क्लॉज का कार्टून मैगजीन में छपा था. इस कार्टून ने दुनियाभर का ध्यान अपनी तरफ खींचा था.
उपभोक्तावाद ने लोकप्रिय बना दिया ये सेंटा
धीरे-धीरे थॉमस नैस्ट के सेंटा की शक्ल का उपयोग विभिन्न ब्रांड्स के प्रचार के लिए किया जाने लगा. इस बीच हैडन संडब्लोम नामक एक कलाकार कोका-कोला की एड में सेंटा के रूप में नजर आया. उसका हुलिया बिल्कुल आज के सेंटा का था. लाल कपड़े पहने हुए सफेद दाढ़ी वाला ये सेंटा लगातार 35 वर्षों (1931 से लेकर 1964 तक) तक विज्ञापन में दिखा. सेंटा का ये नया अवतार लोगों को काफी पसंद आया और उनके जेहन में बैठ गया. तब से सेंटा का ये रूप प्रचलित हो गया और आज भी हर जगह पर सेंटा इसी रूप में नजर आता है.
जानिए कौन था वास्तविक सेंटा
वास्तविक सेंटा निकोलस को माना जाता है. निकोलस का जन्म तीसरी सदी (300 ए.डी.) में जीसस की मौत के 280 साल बाद तुर्किस्तान के मायरा नामक शहर में हुआ था. निकोलस बहुत दयालु थे और हर किसी को खुश रखना चाहते थे. इसलिए वे अक्सर लोगों की मदद किया करते थे. हर साल क्रिसमस के दिन वे लोगों को तोहफे बांटा करते थे और आधी रात में गरीब लोगों के घर जाकर बच्चों के लिए खिलौने और खाने पीने की चीजें दिया करते थे.
संत निकोलस इस काम के लिए अपनी वाहवाही नहीं चाहते थे, इसलिए वे उपहार आधी रात को ही बांटा करते थे. उनकी उदारता को देखकर लोगों ने निकोलस को संत निकोलस कहना शुरू कर दिया. उनकी मृत्यु के बाद हर साल 25 दिसंबर के दिन लोगों ने वेश बदलकर गरीबों और बच्चों को गिफ्ट देना शुरू कर दिया और धीरे धीरे ये एक प्रथा सी बन गई. समय के साथ संत निकोलस सांता क्लॉज के रूप में प्रसिद्ध हो गए. संत निकोलस का नया नाम डेनमार्क वासियों की देन बताया जाता है.


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