छठ व्रत के कठिन नियमों को मानने से प्रसन्न होती हैं छठी मैया

Update: 2022-10-29 02:10 GMT

चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत 28 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन से शुरू हो चुकी है. और 31 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ इसका समापन होगा. छठ का पहला दिन नहाय खाय होता है और आज यानी 29 अक्टूबर को खरना है. आज के दिन व्रती महिलाएं छठी मैया और सूर्य देव के लिए पकवान बनाती हैं. खासतौर से इस दिन थेकुआ बनाया जाता है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार छठ का व्रत संतान प्राप्ति और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. इस व्रत का लाभ व्यक्ति को तभी मिलता है, जब व्रत के कठिन नियमों का सख्ती से पालन किया जाए. मान्यता है कि व्रत के नियमों का पालन करने पर ही छठी मैया प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं. अगर आप भी इस बार पहली बार छठ व्रत रख रहे हैं, तो जान लें व्रत के नियम.

छठ पूजा 2022 व्रत नियम

शास्त्रों के अनुसार छठ पूजा का व्रत भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित है. ऐसे में नियमित रूप से छठी मैया और सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए.

छठ व्रत निर्जला और निराहार रखा जाता है.

छठ पूजा का प्रारंभ नहाय-खाय से होता है. इन दिनों सात्विक भोजन ही किया जाता है . और ऐसा करने वाले को ही सूर्य देव और छठी मैया की कृपा प्राप्त होती है.

छठ व्रत के दौरान भोजन में सिर्फ सेंधा नमक का ही इस्तेमाल किया जाता है. इस दौरान साधारण नमक वर्जित होता है.

छठ पूजा में बांस की टोकरी का इस्तेमाल ही किया जाता है. इस दौरान गलती से भी पुरानी टोकरी का इस्तेमाल न करें. ऐसे ही पूजा के समय नए सूप या थाल का प्रयोग ही करना चाहिए.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार छठ पूजा का व्रत रखने वाले जातकों को चटाई बिछाकर जमीन पर सोना चाहिए. उन्हें बिस्तर पर सोना वर्जित होता है.

व्रत आरंभ करने से पहले घर की अच्छे से साफ-सफाई की जाती है. उसके बाद ही प्रसाद का भोजन बनाया जाता है.

कहते हैं कि छठ का प्रसाद मिट्टी वाले चूल्हे पर बनाया जाता है. भोजन वाल् स्थान से बिल्कुल हटकर छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है.

छठी मैया को भोज लगाने के बाद ही प्रसाद किसी और को देना चाहिए. उससे पहले खान पर प्रसाद झूठा माना जाता है.

 व्रत रखने वाले व्यक्ति को ने वस्त्र पहनने चाहिए.

इस दौरान खुद पर संयम रखना जरूरी है. साथ ही, इन दिनों नकारात्मक चीजों से खुद को दूर रखना चाहिए. किसी पर क्रोधित न हो और बुरा न सोचें. इस दौरान ब्रह्मचार्य व्रत का पालन करें.


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