छठ महापर्व: जानिए इस अनुष्ठान के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं?
छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी
छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. इस दौरान सभी चीजों का नियमत: पालन करना होता है. किसी भी चीज को लेकर भूल-चूक की गुंजाईश नहीं होती है. 8 नवंबर को नहाय-खाय था और आज खरना है. आज से छठव्रती 36 घंटे का निरजला उपवास करेंगी.
10 तारीख यानी बुधवार के दिन सायं में पहला अर्ध्य दिया जाएगा और परसों यानि 11 तारीख दिन गुरुवार को प्रात: काल में उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा और उसी दिन पारण भी होगा. लेकिन इन सभी दिनों में आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं इस पर खास तौर पर ध्यान देने की जरूरत है.
छठ पूजा सूर्य देव को समर्पित है, जो सौर देवता हैं जो पृथ्वी पर जीवन का वरदान देते हैं. ये त्योहार भगवान सूर्य को धन्यवाद देने और कुछ इच्छाओं को पूरा करने के लिए कहने के लिए मनाया जाता है.
ये प्राचीन हिंदू वैदिक त्योहार विशेष रूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल राज्यों के माघई लोगों, मैथिल और भोजपुरी लोगों द्वारा मनाया जाता है.
छठ पूजा को सूर्य षष्ठी के रूप में भी जाना जाता है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होती है और कार्तिक शुक्ल सप्तमी पर समाप्त होती है.
चार दिनों तक अनुष्ठान किए जाते हैं. ये पहले दिन की शाम को सूर्य को अर्घ्य देने के साथ शुरू होता है, और इसमें पवित्र स्नान, व्रत, पीने के पानी से परहेज करना, कुछ अनुष्ठान करने के लिए पानी में खड़े होना, डूबते हुए और उगते सूर्य को प्रार्थना, प्रसाद और अर्घ्य देना शामिल है.
ये करें
– छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय है, घर की साफ-सफाई कर स्नान करें और फिर भोजन तैयार करें.
– रसियाव- दूसरे दिन रोटी होती है, शाम रसियाव में गुड़ से बनी खीर को फल और चपाती के साथ खाया जा सकता है.
– तीसरे दिन संध्या अर्घ्य है, बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि लेकर सूर्य देव को अर्घ्य दें.
– सूर्य देव को दूध और जल अर्पित करें और प्रसाद से भरे सूप से छठी मैया की पूजा करें.
– रात्रि में व्रत कथा सुनें और धार्मिक गीत गाएं.
– चौथे दिन उषा अर्घ्य नदी तट पर उगते सूर्य को अर्घ्य देना है.
– पूजा के बाद शरबत पीकर और प्रसाद खाकर व्रत का समापन करें.
न करें
– घर की सफाई और स्नान करने से पहले छठ पूजा की तैयारी न करें.
– छठ पूजा के दिनों में लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन का प्रयोग न करें.
– प्रसाद में साधारण नमक का प्रयोग न करें.
– देवता को प्रसाद चढ़ाने से पहले उसका सेवन न करें, बच्चों को भी नहीं देना चाहिए.
– बांस की पुरानी या फटी हुई टोकरी का प्रयोग न करें.
– किसी से नाराज न हों क्योंकि ये त्योहार परिवार और बच्चों की शांति, समृद्धि और भलाई के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की मान्यता के साथ विनम्रता और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है.
नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.