Ganesh Mantra: भगवान गणेश की महिमा निराली है। उनके शरणागत रहने वाले साधकों की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूरी होती है। अनादि काल से भगवान गणेश की पूजा की जा रही है। भगवान गणेश को आदि देव भी कहा जाता है। अत: भगवान गणेश प्रथम पूजनीय हैं। भगवान गणेश की पूजा-उपासना Worship of Lord Ganesha करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार all types of prevalent के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में खुशियों का आगमन होता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि बुधवार के दिन एकदंत भगवान गणेश की पूजा करने से आय, सुख और सौभाग्य Happiness and good luck में वृद्धि होती है। अगर आप भी भगवान गणेश की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन गणपति बाप्पा की सच्ची श्रद्धा से पूजा करें। साथ ही पूजा के समय निम्न मंत्रों का जप करें। इन मंत्रों के जप से जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। भगवान गणेश के मंत्र
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।
3. ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
4. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥
5. ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥
6. ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥
7. वन्दे गजेन्द्रवदनं वामाङ्कारूढवल्लभाश्लिष्टम् ।
कुङ्कुमरागशोणं कुवलयिनीजारकोरकापीडम् ॥
विघ्नान्धकारमित्रं शङ्करपुत्रं सरोजदलनेत्रम् ।
सिन्दूरारुणगात्रं सिन्धुरवक्त्रं नमाम्यहोरात्रम् ॥
गलद्दानगण्डं मिलद्भृङ्गषण्डं,
चलच्चारुशुण्डं जगत्त्राणशौण्डम् ।
लसद्दन्तकाण्डं विपद्भङ्गचण्डं,
शिवप्रेमपिण्डं भजे वक्रतुण्डम् ॥
गणेश्वरमुपास्महे गजमुखं कृपासागरं,
सुरासुरनमस्कृतं सुरवरं कुमाराग्रजम् ।
सुपाशसृणिमोदकस्फुटितदन्तहस्तोज्ज्वलं,
शिवोद्भवमभीष्टदं श्रितततेस्सुसिद्धिप्रदम् ॥
विघ्नध्वान्तनिवारणैकतरणिर्विघ्नाटवीहव्यवाट्,
विघ्नव्यालकुलप्रमत्तगरुडो विघ्नेभपञ्चाननः ।
विघ्नोत्तुङ्गगिरिप्रभेदनपविर्विघ्नाब्धिकुंभोद्भवः,
विघ्नाघौघघनप्रचण्डपवनो विघ्नेश्वरः पातु नः ॥
8. गाइये गनपति जगबंदन।
संकर-सुवन भवानी नंदन ॥
गाइये गनपति जगबंदन...
सिद्धि-सदन, गज बदन, बिनायक।
कृपा-सिंधु, सुंदर सब-लायक ॥
गाइये गनपति जगबंदन...
मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता।
बिद्या-बारिधि, बुद्धि बिधाता ॥
गाइये गनपति जगबंदन...
मांगत तुलसिदास कर जोरे।
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥
गाइये गनपति जगबंदन...
9. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
10. ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।