अर्घ्य देते समय जाप करे सूर्य देव के ये मंत्र
सूर्यदेव की पूजा-अर्चना में उनको अर्घ्य देना का विशेष महत्व है।
हिंदू धर्म में हर दिन किसी ना किसी देवी-देवता को समर्पित हैं। रविवार का दिन भगवान सूर्य का दिन होता है लेकिन वैसे तो हर दिन भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए। ज्योतिष शास्त्र में भी भगवान सूर्य देवता को सभी ग्रहों का राजा माना गया है। सूर्य ग्रह यश, बल और वैभव का प्रतीक हैं। सूर्य देव की नियमित पूजा करने से भाग्य का उदय होता है और जीवन में तरक्की मिलती है। अगर किसी की कुंडली में सूर्य ग्रह दोष हो तो उसे हर दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। भगवान सूर्य को अर्घ्य देते समय विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं।
सूर्य देव के मंत्र
सूर्यदेव की पूजा-अर्चना में उनको अर्घ्य देना का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, सूर्य देव की कृपा पाने के लिए नियमित रूप से सूर्योदय के समय उन्हें एक लोटा जल अर्पित करना चाहिए। साथ में सूर्य देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
एहि सूर्य! सहस्त्रांशो! तेजो राशे! जगत्पते!
अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर!
सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। अर्घ्य देने के बाद तीन परिक्रमा ज़रूर लगानी चाहिए। साथ में मंत्र का जाप कर धरती माता के चरण छूने चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, लाल कपड़े पहनकर सूर्य देव को जल चढ़ाना शुभ माना जाता है। सूर्य को अर्घ्य देते समय आपका मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए।