मासिक दुर्गाष्टमी पर करें माता के इन मंत्रों का जाप , माँ की होगी कृपा

Update: 2024-05-14 13:50 GMT
ज्योतिष न्यूज़  : सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन मासिक दुर्गाष्टमी को खास माना गया है जो कि हर माह में पड़ती है इस दिन मां दुर्गा की विधिवत पूजा आराधना का विधान होता है
 मासिक दुर्गाष्टमी के दिन भक्ति भाव से जगत जननी मां अम्बे की आराधना करने से भक्तों के जीवन में सुख समृद्धि और शांति का प्रवेश होता है और सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं इस साल मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत 15 मई दिन बुधवार को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है।
 इस दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत करने से जातक का जीवन हमेशा ही सुखमय बना रहता है। मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद माता की विधिवत पूजा कर उपवास करें पूजन के अंत में माता की आरती करें फिर देवी के मंत्रों का जाप श्रद्धा के साथ करें। माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन के सभी दुखों व कष्टों का निवारण हो जाता है और खुशहाली आती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं मां दुर्गा के मंत्र।
 जगत जननी मां दुर्गा के मंत्र
शक्ति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
आह्वान मंत्र
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
भय दूर करने हेतु मंत्र
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते ।
भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तुते ॥
पाप नाशक मंत्र
हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥
संकट टालने हेतु दुर्गा मंत्र
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥
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