साल 2022 के पहले मंगलवार को करें हनुमान जी के इन मंत्रों का जाप, पूरी होगी सभी मनोकामना

नये साल 2022 का पहला मंगलवार 04 जनवरी को पड़ रहा है। मंगलवार का दिन नाम के अनुरूप मंगलकारी माना जाता है।

Update: 2022-01-03 18:03 GMT

नये साल 2022 का पहला मंगलवार 04 जनवरी को पड़ रहा है। मंगलवार का दिन नाम के अनुरूप मंगलकारी माना जाता है। इस दिन संकटमोचक और मंगलकर्ता हनुमान जी के पूजन का विधान है।मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म मंगलवार के दिन हुआ था। इसलिए इस दिन हनुमान जी के पूजन से सभी तरह के संकटों का नाश होता है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। मंगलवार के दिन हनुमान जी के निमित्त व्रत रखने और उनके पूजन का विधान है। जिन लोगों की कुण्डली में मंगलदोष व्याप्त हो उन्हें इस दिन हनुमान मंदिर में तिल के तेल का दिया जला कर उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। हनुमान जी को घी सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है तथा प्रसाद में बेसन के लड़्डू और तुलसी पत्र का भोग लगाना चाहिए। नये साल के पहले मंगलवार को ऐसा करने से हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होगा। आने वाले दिनों में साल भर सभी प्रकार के संकट और बाधांए आपसे दूर रहेंगी और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होगी।

1-संकट और बाधांए दूर करने के मंत्र
जीवन में आने वली सभी बाधाओं को दूर करने के लिए और संकटों से मुक्ति पाने के लिए मंगलवार के दिन हनुमान जी के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।
ॐ शान्ताय नम:।
ॐ मारुतात्मजाय नमः।
ऊं हं हनुमते नम:।
2- रोजगार में सफलता प्राप्ति का मंत्र-
रोजगार के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए हर मंगलवार को हनुमान जी को बूंदी के लड्डू को भोग लगाना चाहिए। हनुमान जी की प्रतिमा के सामने बैठकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
ॐ पिंगाक्षाय नमः।
3- रोग-दोष से मुक्ति के मंत्र-
हनुमान जी इस मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार के रोग और दोषों से मुक्ति मिलती है।
ऊं हं हनुमते नम:। या मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन।
4- भूत-प्रेत बाधा दूर करने का मंत्र -
मंगलवार के दिन इस मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार की भूत-प्रेत बाधा एवं अन्य नकारात्मक शक्तियों को दूर किया जा सकता है।
नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः।
5- शत्रु विजय का मंत्र –
हनुमान जी के इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को अपने शत्रु पर विजय की प्राप्ति होती है।
ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु सहंरणाय स्वाहा।


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