Chanakya Niti : दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में बदल सकती हैं आचार्य की ये 5 बातें…

आचार्य चाणक्य ने जो बातें वर्षों पहले कही हैं, उन्हें अपने जीवन में अपनाकर व्यक्ति आज भी अपने समय को बदल सकता है. आचार्य के उस समय के अनुभव आज के समय में भी उपयोगी साबित होते हैं. यहां जानिए चाणक्य नीति की उन बातों के बारे में जो आपके दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में बदल सकती हैं.

Update: 2022-01-28 02:30 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।

ईश्वर ने आपको जो भी विशेष गुण दिया है, उसका सम्मान करते हुए उसे निखारना चाहिए और किसी भी प्रतिभा को निखारने का सबसे उत्तम साधन अभ्यास है. खाली बैठने से प्रतिभा का नाश होता है.
जिस प्रकार अर्जित विद्या को अभ्यास से सुरक्षित किया जा सकता है, उसी तरह अच्छे व्यवहार से घर की इज्जत को सुरक्षित किया जाता है और अच्छे गुणों से मान को संभालकर रखा जाता है. किसी भी व्यक्ति को ये बातें कभी भूलनी नहीं चाहिए.
चाणक्‍य नीति के अनुसार वासना के समान दुष्कर्म नहीं होता और क्रोध के समान कोई अग्नि नहीं होती. ये दोनों ही ऐसे दुर्गुण हैं, जो व्यक्ति को पूरी तरह से बर्बाद कर देते हैं. इनसे दूर रहने में ही आपकी भलाई है.
दूसरों की देखभाल हमेशा स्वयं की करने की कोशिश करें. इससे आपको पुण्य प्राप्त होगा. दूसरों को देखभाल की जिम्मेदारी देने से आपके पैसे की बर्बादी होगी क्योंकि आप हर फैसला अपनी स्थिति के अनुरूप ले सकते हैं, कोई दूसरा नहीं.
राजा की पत्नी, गुरु की पत्नी, मित्र की पत्नी और पत्नी की मां ये चारों ही माता के समान होती हैं और यज्ञोपवीत संस्कार करने वाला, पढ़ाने वाला शिक्षक, भोजन देकर आपको पालने वाला और विपरीत परिस्थि​तियों से आपको निकालकर मदद करने वाला, ये सभी आपके लिए पिता के समान हैं. इन लोगों का माता और पिता के समान ही सम्मान करना चाहिए. इससे आपको उनका आशीर्वाद मिलेगा और आपका दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाएगा.


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