Chanakya Niti: जानिए चाणक्य के अनुसार, मित्रता के मामले में रखें इन बातों हमेशा ख़्याल

चाणक्य नीति कहती है कि यदि किसी व्यक्ति की अच्छाई या बुराई का पता लगाना है तो उसके दोस्तों को देख लें. सभी ज्ञात हो जाएगा

Update: 2020-11-24 11:30 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चाणक्य के अनुसार मनुष्य को मित्रता को छोड़कर सभी रिश्ते विरासत में मिलते हैं. मित्रता यानि दोस्ती का रिश्ता ही एक ऐसा रिश्ता है तो मनुष्य स्वयं बनाता है. चाणक्य नीति कहती है कि यदि किसी व्यक्ति की अच्छाई या बुराई का पता लगाना है तो उसके दोस्तों को देख लें. सभी ज्ञात हो जाएगा.


चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है. चाणक्य को कई विषयों का ज्ञान था. चाणक्य विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्व विद्यालय में शिक्षक थे. विशेष बात ये है कि इसी विश्व विद्यालय से चाणक्य ने शिक्षा भी प्राप्त की थी.


चाणक्य ने अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर जो भी जाना और समझा उसे अपनी चाणक्य नीति में दर्ज किया. चाणक्य नीति व्यक्ति को जीवन में सफल होने के लिए प्रेरित करती है. यही वजह है कि सैकड़ो वर्ष बीत जाने के बाद भी चाणक्य की चाणक्य नीति की प्रासंगिकता कम नहीं हुई है. आज भी बड़ी संख्या में लोग चाणक्य नीति का अध्ययन कर अपने जीवन को सरल बनाने का प्रयास करते हैं.


दोस्ती के बारे में चाणक्य राय जानने और समझने लायक है. चाणक्य के अनुसार मित्रता सदैव सोच समझ कर करनी चाहिए. क्योंकि मित्र दिल के सबसे करीब होता है इसलिए जब ये धोखा देता है तो इसकी चोट बहुत गहरी होती है. इसलिए मित्रता के मामले में चाणक्य की इन बातों को कभी नहीं भूलना चाहिए.


बुरे वक्त में साथ नहीं छोड़ना चाहिए

चाणक्य के अनुसार सच्चा मित्र वही है जो बुरे वक्त में साथ न छोड़े. चाणक्य कहते हैं कि सच्चे मित्र, सेवक और पत्नी की पहचान बुरे वक्त में ही होती है. जो मित्र संकट और परेशानी में कंधा से कंधा मिलकर खड़ा रहे वही सच्चा मित्र है. ऐसे मित्र का सदैव सम्मान करना चाहिए. ऐसा मित्र किसी अमूल्य रत्न से कम नहीं होता है.


मर्यादा का ध्यान रखें

चाणक्य के अनुसार हर रिश्ते की अपनी एक मर्यादा होती है. इस मर्यादा को कभी लांघना नहीं चाहिए. मित्रता में भी यही बात लागू होती है. जब मर्यादा को लांघने की कोशिश की जाती है तो दोस्ती का रिश्ता कमजोर पड़ने लगता है. इसलिए कभी भी मर्यादा के खिलाफ नहीं जाना चाहिए.


सही मार्ग दिखाए

चाणक्य के अनुसार मित्र वही है जो सही मार्ग दिखाए. गलत रास्ते पर जाने से रोके. जो मित्र गलत रास्ते पर रोकने की बजाए गलत रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करे वह मित्र कभी सच्चा नहीं हो सकता है. ऐसे मित्र से सदैव सावधान और सर्तक रहना चाहिए.

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