हिंदू नववर्ष की पहली पूर्णिमा है चैत्र पूर्णिमा, जानें इस दिन किसकी होती है पूजा
हर महीने एक पूर्णिमा तिथि आती है और साल में 12 पूर्णिमा होती हैं और सभी का अपना-अपना अलग महत्व होता है
हर महीने एक पूर्णिमा तिथि आती है और साल में 12 पूर्णिमा होती हैं और सभी का अपना-अपना अलग महत्व होता है. चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima 2021) कल यानी 27 अप्रैल मंगलवार को है. इसका महत्व अधिक इसलिए है क्योंकि यह हिंदू नववर्ष की पहली पूर्णिमा तिथि है. हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को बेहद खास माना गया है. ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन (Purnima Tithi) पवित्र नदियों और जलकुंड में स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है (Bathing in Holy Rivers). इस दिन किस देवता की पूजा की जाती है, चैत्र पूर्णिमा का महत्व क्या है, इन सभी का बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें.
चैत्र पूर्णिमा पर बन रहे खास योग
वैसे तो पूर्णिमा तिथि 27 अप्रैल मंगलवार को सुबह 9 बजे तक ही है. लेकिन चूंकि ज्यादातर मौकों पर उदया तिथि से दिन या त्योहार का मान होता है इसलिए चैत्र पूर्णिमा 27 अप्रैल को ही मनायी जा रही है. इस बार चैत्र पूर्णिमा पर कई विशेष योग भी बन रहे हैं. इस दिन रात में 8 बजे तक सिद्धि योग (Siddhi Yoga) बन रहा है, चंद्रमा तुला राशि में विराजमान रहेंगे और इस दिन बेहद खास स्वाती नक्षत्र भी (Swati Nakshatra) दिनभर रहेगा. ज्योतिष शास्त्र में सिद्धि योग को बेहद शुभ माना जाता है और इस दौरान शुभ कार्य या खरीदारी करना फलदायी होता है.
चैत्र पूर्णिमा का महत्व
चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान शिव (Lord Shiv) और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और भगवान विष्णु की कृपा से घर परिवार में सुख शांति और धन-समृद्धि बनी रहती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में रासलीला की थी (Lord Krishna Ras Leela) जिसे महारास के नाम से जाना जाता है. साथ ही चैत्र पूर्णिमा के दिन ही हनुमान जयंती भी होती है, इसलिए भी इस दिन को खास माना जाता है.
इस दिन क्यों करते हैं चांद की पूजा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा अशुभ होता है या चंद्रमा से जुड़ा कोई दोष होता है उन्हें चैत्र पूर्णिमा के दिन रात में चंद्रमा को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए (Moon is worshipped). ऐसा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है और कुंडली में चंद्रमा की शुभता में वृद्धि होती है. इसीलिए चैत्र पूर्णिमा के दिन रात्रि में चंद्रमा की पूजा करना फलदायी माना जाता है.
चंद्रोदय का समय- 27 अप्रैल मंगलवार को शाम 07:00 बजे
चन्द्रास्त का समय- 28 अप्रैल बुधवार को सुबह 05:42 बजे
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. जनता से रिश्ता इनकी पुष्टि नहीं करता है.)