चैत्र नवरात्रि आरंभ, जरूर करें नवदुर्गा के बीज मंत्रों का जाप
चैत्र नवरात्रि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होती है। इस बार यह नवरात्रि 2 अप्रैल यानि आज से आरंभ हो चुकी है और यह 11 अप्रैल तक रहेगी। इन नौ दिनों में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
चैत्र नवरात्रि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होती है। इस बार यह नवरात्रि 2 अप्रैल यानि आज से आरंभ हो चुकी है और यह 11 अप्रैल तक रहेगी। इन नौ दिनों में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। देवी के नौ रूपों का अलग-अलग पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है,जो भक्तों को सुख-सौभाग्य और शौर्य प्रदान करती हैं। नौ देवियों की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ सिद्ध होते हैं। नौ दिन तक चलने वाली चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग अलग रूपों की पूजा कर भक्त माता को प्रसन्न करते हैं। कहते हैं मां दुर्गा भक्तों के दुख को दूर कर देती हैं। ऐसे में नवरात्रि में भक्त दिनभर व्रत रखते हैं और शाम को उनकी आरती करके उन्हें भोग लगाते हैं। मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के दौरान नवदुर्गा के बीज मंत्रों का जाप करना आपके लिए कल्याणकारी सिद्ध होता है। मां दुर्गा के नौ अवतार हैं, जिनमें मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां सिद्धिदात्री और मां महागौरी हैं। मान्यता है कि मां दुर्गा ने ये नौ स्वरुप अलग अलग उद्देश्यों की पूर्ति के लिए धारण किए थे। आइए जानते हैं मां दुर्गा के 9 स्वरुपों के बीज मंत्रों के बारे में।
चैत्र नवरात्रि 2022 नवदुर्गा बीज मंत्र
मां शैलपुत्री बीज मंत्र
ह्रीं शिवायै नम:
प्रार्थना मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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ब्रह्मचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र
ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
प्रार्थना मंत्र
दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां चंद्रघंटा
मां चंद्रघंटा बीज मंत्र
ऐं श्रीं शक्तयै नम:
प्रार्थना मंत्र
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कुष्मांडा
मां कूष्मांडा बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:
प्रार्थना मंत्र
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां स्कंदमाता बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
प्रार्थना मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कात्यायनी बीज मंत्र
क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:
प्रार्थना मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कालरात्रि बीज मंत्र
क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
प्रार्थना मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां महागौरी बीज मंत्र
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
प्रार्थना मंत्र
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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