ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व को बेहद ही खास माना जाता है जो कि देवी साधना का महापर्व होता है इस दौरान माता के नौ अलग अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है और व्रत आदि भी रखा जाता है इस बार नवरात्रि का आरंभ 9 अप्रैल से हो चुका है और समापन 17 अप्रैल को नवमी पर हो जाएगा। अष्टमी और नवमी के दिन लोग कन्या पूजन करते हैं ऐसे में आज हम आपको कन्या पूजन से जुड़े नियम और विधि के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
कन्या पूजन की सही विधि और नियम—
ज्योतिष अनुसार कन्या पूजन का आरंभ कन्याओं के स्वागत के साथ किया जाता है इसके बाद उनके पैर धोकर आसन पर बिठाएं। फिर कलावा, पवित्र धागा, माथे पर लाल कुमकुम लगाएं। इसके बाद पूड़ी, काले चने, नारियल और हलवे को भोग में खिलाएं। फिर कन्याओं को उपहार में चुनरी, चूड़ियां और नए वस्त्र दें। इसके बाद फल और दक्षिण अपनी क्षमता के अनुसार प्रदान करें।
साथ ही उनके पैर छूकर कन्याओं का आशीर्वाद प्राप्त करें। अंत में उन्हें थोड़ा अक्षत देकर उनसे अपने घर में छिड़काने को बोले साथ ही स्वयं भी लें और उन्हें सम्मान पूर्वक विदा करें माना जाता है कि अगर अष्टमी और नवमी के दिन इस विधि से कन्या पूजन किया जाएं
तो आपके नौ दिनों का व्रत पूर्ण हो जाता है साथ ही देवी की असीम कृपा बरसती है जिससे जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। कन्या पूजन में लंगूर के रूप में एक लड़के को भी पूजन में जरूर शामिल करना चाहिए।