ऐसे मनाएं जन्मदिन, मोमबत्ती बुझाने के बजाय जलाएं दीया

Update: 2022-05-11 14:58 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Astro Birthday Rules: पाश्चात्य संस्कृति का बढ़ता प्रभाव हमारे दैनिक जनजीवन पर भी पड़ता जा रहा है. नए परिवेश में हम अपनी उन पुरानी परम्पराओं और मान्यताओं को भूलते जा रहे हैं जो वैज्ञानिक भी थीं और समाज को कुछ न कुछ सीख भी देती थीं. आज इस लेख में हम चर्चा करेंगे बर्थडे यानी जन्मदिन समारोह की. हम बताएंगे कि जन्मदिन कैसे मनाया जाता था और आज हम कैसे मनाने लगे हैं, आखिर हमें क्या करना चाहिए.

पहले जन्मदिन यानी वर्षगांठ होती थी. इस दिन एक धागे में गांठ लगाई जाती थी, अब जितनी गाठें उतने वर्ष बीत चुके हैं. यह सिलसिला विवाह तक चलता था. विवाह के प्रथम वर्ष के जन्मदिन से उत्सव मनाना बंद कर दिया जाता था. उसको कहते हैं कि जन्मदिन उठा दिया गया यानी फिर आगे से स्वयं का बर्थ-डे न मनाने की परंपरा है. यदि इसके दर्शन को समझें तो स्पष्ट होता है कि व्यक्ति जब जिम्मेदार हो जाता है तो वर्षगांठ को वह आयु का एक वर्ष कम होना समझने लगता है.
इसके पश्चात वह जन्मदिन को बहुत उत्सव के रूप में नहीं मनाता है. जन्मदिन विशेष रूप से बाल्यावस्था और किशोरावस्था का हर्षोल्लास का उत्सव है. हमारी संस्कृति पर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण में हम अपनी परम्पराओं को भूलते जा रहे हैं जो ठीक नहीं है. तो अब जानते हैं कि जन्मदिन में क्या नहीं करना चाहिए.
जन्मदिन पर क्या न करें-
बर्थडे में रात के बारह बजे केक काटना लेटेस्ट फैशन बन गया है. यह बिल्कुल गलत है. अंग्रेजी कैलेंडर में रात्रि 12 बजे तारीख भले ही बदल जाती हो लेकिन हिन्दी कैलेंडर में ऐसा नहीं है, यहां सूर्योदय का महत्व है. रात्रि में केक नहीं काटना चाहिए.
वैसे केक काटना और मोमबत्ती बुझाना भी ठीक नहीं है. संस्कार मनाने के तरीके के मर्म का बहुत महत्व होता है.
बच्चे घर के दीपक होते हैं, वे सदैव दीपक की भांति प्रकाशवान रहें, परिवार के बड़ों की यही मनोकांक्षा होती है. और वहीं बच्चे जब बर्थ-डे केक में प्रज्ज्वलित मोमबत्ती को फूंक कर बुझा देते हैं तो यह एक अच्छा शकुन नहीं है.
हिन्दू संस्कारों में अग्नि देव को सदैव प्रकट किया गया है न कि बुझाया गया है.
एक विशेष बात ध्यान रखनी चाहिए कि जन्मदिन पर बाल नहीं कटवाने चाहिए.
हिंसक कार्य तो कतई नहीं करने चाहिए यानी मांसाहार नहीं करना चाहिए.
माताएं सदैव इस बात का ध्यान रखती थीं कि उनके द्वारा जन्मदिन पर बच्चे को न तो डांटा जाए और न ही मारा जाए.
ऐसे मनाएं जन्मदिन
जन्मदिन रात में मनाने के बजाय सदैव सूर्योदय में मनाना चाहिए. जब सूर्य नारायण उदय हो जाएं तो सर्वप्रथम जल्दी उठकर स्नान आदि करने के पश्चात सबसे पहले सूर्य भगवान को प्रणाम करना चाहिए.
जन्मदिन हिन्दू कैलेंडर से अवश्य मनाना चाहिए, जन्मतिथि पर मां के हाथ से तिल डालकर दूध पीना चाहिए. इस दिन पोषक खाद्य पदार्थ खाने चाहिए.
दरअसल जिस तिथि पर हम जन्म लेते हैं, उस तिथि पर प्रवाहित होने वाली ऊर्जा हमारे शरीर में मौजूद तरंगों से सर्वाधिक मेल खाती है. इसलिए इस दिन हमें अपने बड़े-बुजुर्गों या परिवार के सदस्यों के द्वारा जो आशीर्वाद मिलते हैं, वह सर्वाधिक फलित होते हैं.
हमारे शास्त्रों में यह उल्लेख भी मिलता है कि जिस व्यक्ति का जन्मदिन है, उसकी आरती उतारी जाए. आरती उतारने से संबंधित व्यक्ति के शरीर पर मौजूद सूक्ष्म से सूक्ष्म अशुद्धियां भी दूर होती हैं. साथ ही ऐसा भाव रखना चाहिए कि अग्नि देव आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं.
बड़ों का आदर करने के बाद आपको अपने गुरु को प्रणाम करना चाहिए और उसके बाद ईश्वर की आराधना पूरी श्रद्धा भाव के साथ संपन्न करनी चाहिए. इस दिन किसी मंदिर में देव- देवी दर्शन अवश्य करना चाहिए.
जिस व्यक्ति का जन्मदिन है उसे भेंट अवश्य देनी चाहिए, यह आपका उनके लिए आशीर्वाद और प्रेम दर्शाता है.
जन्मदिन को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए. इस दिन घर की महिलाओं को जन्मदिन से संबंधित लोक गीतों को ढोलक, मंजीरे आदि बजाकर गाने की परंपरा थी लेकिन यह लुप्त होती जा रही है तो कम कम ऐसे संगीत बजाने चाहिए जो शोर के बजाए मुधुरता युक्त और कर्णप्रिय हों.
हम सभी अपने जन्मदिन पर नए कपड़े पहनना पसंद करते हैं, यह शास्त्रों के अनुसार जरूरी भी है.
जन्मदिन पर कुछ दान अवश्य करना चाहिए, यदि संभव हो तो अपने वजन के बराबर किसी जरूरतमंद को अनाज दान करना उत्तम रहता है.
भौतिकवाद से ग्रस्त आज के युग में मनुष्यों में सात्विकता का अभाव हो रहा है. जन्मदिन के समय आप पवित्र होते हैं और किसी भी प्रकार की अशुद्धि से दूर होते हैं, इसलिए उस दिन दान करना आपके लिए फलदायक है.
जिसका जन्मदिन है, उसी के हाथ मे उपहार दें. यदि संभव हो तो रैपर अपने सामने हटा दें, उपहार देख कर चेहरे की प्रसन्नता को भी देखना चाहिए.
रिटर्न गिफ्ट का जो चलन प्रारम्भ हुआ है, वह अच्छा है. उसको प्रमोट करना चाहिए इससे बच्चों में उपहार के बदले धन्यवाद स्वरूप उपहार देने के संस्कार जन्म लेते हैं.


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