इस मंदिर में भभूत लगाने से दूर हो जाता है कैंसर

Update: 2023-09-25 18:01 GMT
धर्म अध्यात्म: राजस्थान के धौलपुर जिले से 35 किलोमीटर दूर बसेड़ी उपखंड के उमरेह गांव में विशिनिगिरि बाबा का मंदिर स्थित है. कहां जाता है विशिनिगिरि बाबा का मंदिर 250 से 300 साल पुराना मंदिर है. ऐसा दावा किया जाता है कि यहां पर कैंसर गांठ, त्वचा संबंधित बीमारियों का इलाज भभूति लगाकर किया जाता है.विशिनिगिरि बाबा मंदिर पर राजस्थान,मध्य प्रदेश,उत्तराखंड, बिहार, तमाम राज्यों के लोग कैंसर और त्वचा संबंधित बीमारियों का इलाज करवाने आते हैं.
विशिनिगिरि धाम के महंत बताते हैं कि विशिनिगिरि बाबा त्वचा रोग से पीड़ित थे. वे उमरेह गांव में ही ग्वाला थे. बाबा विशिनिगिरि ने यही समाधि ली थी. महंत बताते हैं यहा त्वचा रोग से संबंधित सभी बीमारियों का इलाज होता है और हर रोज 400 से 500 कैंसर और त्वचा रोग से पीड़ित मरीज यहां आते हैं. विशिनिगिरि बाबा मंदिर में कैंसर का इलाज कराने आएधर्म सिंह मीणा बताते हैं उनके पेट में कैंसर की गांठ है वह 15 दिन से मंदिर में ही हैं. अब उनका कैंसर ठीक होता जा रहा है. धर्म सिंह मीणा बताते हैं. यहां भभूति लगाकर कैंसर का इलाज किया जाता है औरयहां रहना और खाना-पीना सब फ्री है.
उत्तराखंड के बागेश्वर ज़िले से आए गणेश बताते हैं कि उनके दोस्त की माता जी को कैंसर था तो उन्हें लेकर वह विशिनिगिरि धाम पहुंचे हैं. गणेश बताते हैं कि सुबह शाम विशिनिगिरि बाबा की भभूति लगती है और शाम को गर्म सिकाई होती है. अब माता जी को थोड़ा आराम है.लंगर सेवा समिति के सदस्य बताते हैं कि यहां पर प्रतिदिन 400 से 500 लोगों का भोजन बनाया जाता है और यह भोजन विशिनिगिरि धाम आये भक्तो के लिये निशुल्क होता है.
कमेटी के द्वारा ही भक्तों के लिए सोने के लिए गद्दे दिये जाते है गर्मी के मोसम मे पंखा और कूलर की व्यवस्था की जाती है. यहां पर भक्त 6 महीनों तक भी रुक कर जाते हैं. इस कमेटी में पांच गांव के लोग शामिल हैं. बाबा विशिनिगिरि का मेला भाद्र मास कृष्ण पक्ष नवमी को लगता है यह चार दिन का मेला होता है. इस मेले में लाखों लोग बाबा विशिनिगिरि के दर्शन करने आते हैं.
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