Brahma Muhurta: ब्रह्म मुहूर्त में जगना माना जाता है इतना खास, जानें सफलता का राज
हिंदू धर्म से जुड़े वेद पुराणों
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: हिंदू धर्म से जुड़े वेद पुराणों और शास्त्रों में बह्म मुहूर्त को बेहद खास और शुभ माना गया है। रात्रि के अंतिम प्रहर के बाद और सूर्योदय से ठीक पहले का जो समय होता है उसे ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है। यानी सुबह के 4 बजे से लेकर 5:30 बजे तक का जो समय होता है उसे ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जग जाना चाहिए। इस समय सोना शास्त्रों में निषिद्ध माना गया है। आइए जानते हैं क्यों माना जाता है इसे इतना खास।
हनुमानजी से जुड़ी है कथा
ब्रह्म मुहूर्त को लेकर वाल्मीकि रामायण में एक कथानक दिया गया है। इसके अनुसार, पवनपुत्र हनुमानजी ब्रह्म मुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे। जहां उन्होंने वेद मंत्रों का पाठ करके माता सीता को सुनाया। शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है…
वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति।
ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥
अर्थात- ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता हे।
ब्रह्म मुहूर्त का प्रकृति से है यह संबंध
ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति का गहरा नाता है। इस समय में पशु-पक्षी जाग जाते हैं। उनका मधुर कलरव शुरू हो जाता है। कमल का फूल भी खिल उठता है। मुर्गे बांग देने लगते हैं। एक तरह से प्रकृति भी ब्रह्म मुहूर्त में चैतन्य हो जाती है। यह प्रतीक है उठने, जागने का। प्रकृति हमें संदेश देती है कि निद्रा का त्याग करके ब्रह्म मुहूर्त में उठो और दैनिक कार्यों में लग जाओ।
वास्तु में भी माना गया है बेहद शुभ
ब्रह्म मुहूर्त में रोजाना उठने वाले लोगों की सफलता प्राप्त करने की संभावना अधिक रहती है। वास्तु के अनुसार, इस वक्त पूरे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा भरी रहती है और सुबह उठने पर जब यह ऊर्जा हमारे अंदर की ऊर्जा से मिलती है तो हमारे मन में अच्छे विचार आते हैं और उमंग व उत्साह का संचार होता है। इस पॉजिटिव एनर्जी के साथ जब हम किसी काम को करते हैं तो उसमें सफलता प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है।
क्या है सफलता का राज?
आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। यही कारण है कि इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है। इसके अलावा यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। ब्रह्ममुहूर्त के धार्मिक, पौराणिक व व्यावहारिक पहलुओं और लाभ को जानकर हर रोज इस शुभ घड़ी में जागना शुरू करें तो बेहतर नतीजे मिलेंगे।