घर में शंख बजाने से दूर होती है सारी बाधाएं और नेगेटिविटी
हिंदू धर्म में शंख को एक शुभता और मंगल का प्रतीक माना गया है. सनातन परंपरा में बगैर शंख के कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू धर्म में शंख को एक शुभता और मंगल का प्रतीक माना गया है. सनातन परंपरा में बगैर शंख के कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है. शंख की दिव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसे तमाम देवी-देवताओं ने अपने हाथों में धारण कर रखा है. समुद्र मंथन के दौरान निकले शंख को माता लक्ष्मी का भाई माना जाता है, क्योंकि दोनों की उत्पत्ति समुद्र से ही हुई थी. मान्यता यह भी है कि शंख की उत्पत्ति भगवान विष्णु के भक्त दंभ के बेटे 'शंखचूड़' नाम के दानव से हुई. इसी दानव की अस्थियों से 1008 प्रकार के समुद्री अलौकिक शंखों का निर्माण हुआ. हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के दौरान सुबह और शाम के समय आरती में शंखनाद किया जाता है. पूजा-पाठ के अलावा विवाह, विजय के उत्सव, राज्याभिषेक, हवन और किसी के आगमन के समय आमतौर पर शंख बजाया जाता है.