भक्ति : जिले के गढ़ाकोटा में ऐतिहासिक पटेरिया धाम में बिराजे जगन्नाथ स्वामी अपनी बहन और भाई के साथ बीमार पड़ गए. लू लगने की वजह से उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया. इससे वह आसन छोड़कर पलंग पर आ गए हैं. जब तक स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा, तब तक वह अपने भक्तों को दर्शन नहीं देंगे. जगदीश मंदिर के पुजारियों द्वारा अगले 15 दिनों तक उनकी मरीज के जैसे देखभाल की जाएगी. परहेज में उन्हें खिचड़ी और मूंग दाल का भोग लगेगा. औषधि का सेवन कराया जाने लगा है. कुछ दिन बाद जब आराम नहीं मिलेगा तो नाड़ी देखने के लिए वैद्य आएंगे. इसके बाद भगवान जगन्नाथ जी 7 जुलाई को रथ से शहर भ्रमण करेंगे. चौंकिए नहीं, यह सनातनी प्रथा है, जो 250 साल पुरानी है और सागर के मंदिरों में विधि पूर्वक निभाई जा रही है. ये सबकुछ उड़ीसा के Jagannath पुरी की तर्ज पर होता आ रहा है.
आधी रात स्नान करने से लगी लू- सिद्ध धाम पटेरिया क्षेत्र के महंत महामंडलेश्वर हरिदास महाराज बताते हैं कि सदियों से जगत के पालनहार के बीमार होने की सनातनी परंपरा चली आ रही है. भीषण गर्मी में भगवान अपने भाई और बहन के साथ गर्भगृह से निकल कर भक्तों को दर्शन देने बाहर परिसर में आए थे, जहां पर 108 घड़ों से उनका अभिषेक किया गया. छप्पन भोग लगाए गए, महाआरती हुई और इसके बाद जब आधी रात को भगवान मंदिर में पहुंचे, तो उनका स्वास्थ्य खराब हो जाता है.इन मंदिरों में होगा सनातनी परंपरा का पालन
दरअसल, मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की स्नान-दान पूर्णिमा पर स्नान अभिषेक की अधिकता के कारण भगवान को ज्वर और कुछ physical व्याधियां हुई थी. गढ़ाकोटा के चमत्कारी जगन्नाथ जी मंदिर सहित सागर शहर के प्रमुख मंदिरों में भी इस सनातनी परंपरा का पालन होता है. सर्दी-बुखार से पीड़ित जगत के स्वामी का 15 दिनों तक उपचार चलेगा, जिसमें रामबाग मंदिर, इतवारा बाजार स्थित श्री जानकी रमण मंदिर, वृंदावन बाग मंदिर, श्री बांके बिहारी मंदिर, बिहारी जी मंदिर, श्री बांके राघवजी मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में भगवान को पूर्ण विश्राम कराया जाएगा. मूंग दाल और खिचड़ी का भोग लगेगा, ठाकुरजी के चरण हल्के से स्पर्श कर सेवा की जाने लगी है
भगवान भक्त के लिए पड़े बीमार- संत पंडित केशव गिरि महाराज ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ स्वामी का एक परम भक्त माधव गंभीर रूप से बीमार हो गया था. उस दौरान खुद भगवान जगन्नाथ स्वामी उसकी सेवा करने पहुंचे थे. काफी कष्ट झेलने के बाद भक्त ने भगवान से कहा कि सेवा करने के स्थान पर आप मुझे वैसे ही ठीक कर सकते थे. तब भगवान बोले, प्रारब्ध को तो झेलना ही पड़ता है, यदि अभी इसे कटवा लोगे तो भी अगले जन्म में तुम्हें यह भोगना ही पड़ेगा. अभी तुम्हारे कष्ट के 15 दिन और बचे हैं. यह बीमारी मुझे दे दो मैं भोग लूंगा तो तुम्हारा प्रारब्ध कट जाएगा और तभी से भगवान जगन्नाथ स्वामी साल में एक बार 15 दिनों के लिए बीमार होते हैं.
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