Best Worship Tips : जानिए पूजा से जुड़े 10 जरूरी नियम

ईश्वर की पूजा करने वालों को कई बार एक शिकायत होती है

Update: 2022-01-11 14:15 GMT

ईश्वर की पूजा करने वालों को कई बार एक शिकायत होती है कि बहुत पूजा करने के बाद भी उनकी पूजा का फल उन्हें नहीं प्राप्त हो पा रहा है. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि आखिर वो कौन से कारण हैं, जिसके कारण आपकी साधना का उचित फल नहीं मिल पा रहा है या फिर कहें आप पर उनकी कृपा नहीं बरस पा रही है. मान्यता है कि ईश्वर की पूजा (Worship of God) का पूरा फल तब मिलता है जब आप उसे सही विधि और पूरे नियमों के साथ करते हैं. आइए ईश्वर की पूजा से जुड़े 10 जरूरी नियम (Worship tips in Hindi) जानते हैं, जिनका पालन करने पर आपको शीघ्र ही सभी मनोकामना पूरी होती है.

ईश्वर की पूजा का सबसे पहला और जरूरी नियम है कि हम उनकी साधना-आराधना हमेशा भक्ति भाव से और निश्छल मन से करें.

ईश्वर की पूजा सही दिशा और सही स्थान में पूजा करनी चाहिए. वास्तु के अनुसार घर में पूजा स्थान हमेशा ईशान कोण में रहना चाहिए और पूजा करते समय हमारा चेहरा पूर्व दिशा की ओर रहे.

ईश्वर की पूजा करते समय हमें हमेशा पंच देव-सूर्य देव, श्री गणेश, देवी दुर्गा, भगवान शंकर और भगवान विष्‍णु का ध्यान अवश्य करना चाहिए.

ईश्वर की पूजा में हमेशा स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहन कर पवित्र मन से पूजा करनी चाहिए. ईश्वर की पूजा करते समय क्रोध नहीं करना चाहिए.

ईश्वर की पूजा हमेशा किसी आसन पर बैठकर करना चाहिए. हमेशा अपने आराध्य के अनुसार आसन का प्रयोग करें. भूलकर भी जमीन पर या बिस्तर आदि पर बैठकर पूजा न करें. यदि आपके पास ​उचित आसन न हो तो आप कंबल बिछाकर पूजा कर सकते हैं.

ईश्वर की पूजा करते समय न सिर्फ अपने आराध्य को उनसे संबंधित शुभ तिलक लगाएं बल्कि स्वयं भी प्रसाद स्वरूप अपने माथे पर ग्रहण करें. तिलक के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले चंदन को कभी भी ​तांबे के पात्र में नहीं रखना चाहिए.

ईश्वर की पूजा में हमेशा अपने आराध्य के मंत्र एवं प्रार्थना का सही उच्चारण करें. देवी-देवताओं और ग्रहों से संबंधित मंत्र का उचित माला से जप करें. भूलकर भी जप के लिए किसी दूसरे की माला या फिर अपने गले में पहनी हुई माला का प्रयोग न करें.

ईश्वर की पूजा करने के बाद आरती अवश्य करना चाहिए. मान्यता है कि आरती है तारती, इसलिए अपने आराध्य देवी-देवता की सुबह–शाम आरती जरूर करें. ईश्वर की आरती हमेशा खड़े होकर करें. आरती करते समय पहले ईश्वर के चरणों की तरफ चार बार, इसके बाद नाभि की तरफ दो बार और अंत में एक बार मुख की तरफ घुमाएं. आरती करने के बाद उस पर से जल फेर दें और दोनों हाथ से उसे ग्रहण करें.

पूजा करने के बाद हमेशा अपने आसन के नीचे 2 बूंद जल डालकर उसे अपने माथे से लगाएं, फिर अपना स्थान छोड़ना चाहिए, अन्यथा आपकी पूजा का फल इंद्रदेव को मिल जाता है. पूजा समाप्त करने के बाद अपने आराध्य से भूल-चूक के लिए क्षमा याचना जरूर करनी चाहिए.

यदि आपने किसी पूजा या फिर पूजा से जुड़ा कोई दान का संकल्प लिया हो तो उसे समय पर अवश्य पूरा कर लेना चाहिए, अन्यथा उसका दोष लगता है. यदि आपने संकल्प पूरा करने में विलंब होने पर उसका फल पूरा नहीं मिलता है.


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