Bajrang Baan: बजरंग बाण के इन फायदों से अनजान होंगे आप, खुल जाती है बंद किस्मत
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Chant Bajrang Baan On Tuesday: भगवान शिव के रुद्रावतार और श्री राम के परम भक्त हनुमान जी को मंगलवार का दिन समर्पित है. मान्यता है कि अगर सच्चे मन से हनुमान जी की पूजा की जाए, तो वे बहुत जल्द प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. कलयुग में हनुमान जी ही एक ऐसे देवता हैं, जो धरती पर मौजूद हैं.
मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से मंगलवार के दिन पूजा करता है, उसके जीवन में हमेशा मंगल ही होता है. जीवन किसी संकट से बाहर निकलने के लिए या फिर विशेष प्रकार की मनोकामना पूर्ति के लिए मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ किया जाता है. आइए जानते हैं मंगलवार के दिन ये पाठ करने के फायदे.
बजरंगबाण के फायदे
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति को कभी कोई गंभीर रोग नहीं सताता. साथ ही, वे हर प्रकार के रोग और दोषों से मुक्त रहता है.
- किसी भी कार्य में निश्चित रूप से सफलता पाने के लिए मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ करें. इससे व्यक्ति को हर कार्य में सफलता मिलती है.
- शत्रु अगर किसी व्यक्ति पर हावी हो रहे हैं, तो उसके लिए भी व्यक्ति को मंगलवार के दिन पाठ करना चाहिए. इससे शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.
- इसके जाप से अज्ञात भय दूर होता है और लंबे समय से कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं. वहीं, अटके हुए कार्य भी पूरे होते हैं.
- मंगलवार के दिन नियमित रूप से पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.
बजरंग बाण
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।
जनके काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा।
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर यमकातर तोरा।
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर मह भई।
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दुख करहु निपाता।
जय गिरिधर जय जय सुखसागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर।
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले।
गदा बज्र लै बैरिहि मारो। महारज प्रभु दास उबारो।
ओंकार हुंकार महाबीर धावो। वज्र गदा हनु बिलम्ब न लावो।
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।
सत्य होहु हरि शपथ पायके। राम दूत धरु मारु जायके।
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दा तुम्हारा।
वन उपवन मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।
पांय परौं कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकर सुवन वीर हनुमंता।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रति पालक।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर, अग्नि बैताल काल मारीमर।
इन्हें मारु तोहिं सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।
जनक सुता हरिदास कहावो। ताकी सपथ विलंब न लावो।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुख नाशा।
चरण-शरण कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।
उठु-उठु चलु तोहिं राम दोहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई।
ओम चं चं चं चं चपल चलंता। ओम हनु हनु हनु हनु हनुमंता।
ओम हं हं हांक देत कपि चंचल। ओम सं सं सहमि पराने खल दल।
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होत आनंद हमारो।
यहि बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहो फिर कौन उबारे।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करैं प्राण की।
यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपै।
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तनु नहिं रहे कलेशा।
दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज शकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।