चातुर्मास में इन खाद्य पदार्थों से करें परहेज

चातुर्मास (Chaturmas) का प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल की एकादशी से होता है. जिसे हम देवशयनी एकादशी भी कहते हैं.

Update: 2022-07-28 08:06 GMT

चातुर्मास (Chaturmas) का प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल की एकादशी से होता है. जिसे हम देवशयनी एकादशी भी कहते हैं. हिंदू धर्म में चातुर्मास के इन 4 महीनों का विशेष महत्व है, यह 4 महीने सावन, भादों, अश्विन और कार्तिक हैं. ऐसा माना जाता है कि इन चार महीनों तक भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम करने जाते हैं और इस दौरान सृष्टि का संचालन भगवान भोलेनाथ संभालते हैं. हिंदू धर्म ग्रंथों में इन 4 महीनों से संबंधित बहुत सारे नियमों के बारे में बताया गया है. इस दौरान लोगों को खानपान से संबंधित विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि यह 4 महीने आत्म संयम रखने और त्योहारों का आनंद लेने के लिए बनाए गए हैं. आइए भोपाल के रहने वाले ज्योतिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से जानते हैं चतुर्मास से जुड़ी कुछ खास बातें.

-चातुर्मास के इन 4 महीनों में कुछ चीजों को खाने की मनाही रहती है क्योंकि इन 4 महीनों में भगवान भोलेनाथ के भक्त उनकी पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा आराधना करते हैं और हिन्दू धर्म में ये 4 माह किसी उत्सव की तरह मनाते है.
चातुर्मास में इन खाद्य पदार्थों से करें परहेज
-हिंदू धर्म ग्रंथों में चातुर्मास के समय बहुत सारी चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है. इनमें हरी सब्जियां और बैगन आदि प्रमुख हैं. इसके अलावा चातुर्मास में लहसुन, प्याज, मांसाहार, शराब आदि नशीली चीजों का सेवन भी नहीं करने के लिए कहा गया है. ऐसा माना जाता है यह सभी चीजें मन में विकार उत्पन्न करती हैं और यह महीना पवित्र होता है, इसलिए इन 4 महीनों में इन चीजों का सेवन करने की मनाही होती है.
-चातुर्मास के इन 4 महीनों में शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, ग्रह प्रवेश आदि करने की भी मनाही है. ऐसा माना जाता है कि इन 4 महीनों में भगवान विष्णु विश्राम करते हैं, इसलिए किसी भी मांगलिक कार्य के लिए उनको जगाना उचित नहीं होता.
-चातुर्मास के 4 महीनों में जल को भी उबाल कर पीने के लिए कहा जाता है क्योंकि बारिश के कारण जल में विषाणु बहुत तेजी से फैलते हैं और यह पानी दूषित कर देते हैं. इन 4 महीनों में लोग पेट से जुड़ी अनेकों बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं.
-हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, चातुर्मास के दौरान प्रात: काल उठकर योग और प्राणायाम करना चाहिए. अगर संभव हो पाए तो सूर्योदय से पहले किसी नदी में स्नान करने जाएं. माना जाता है कि ऐसा करने से सेहत ठीक रहती है.


Tags:    

Similar News

-->