सूर्य ग्रहण के समय खाने पीने की चीजों में डाला जाता है तुलसी का पत्ता, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

खाने पीने की चीजों में डाला जाता है तुलसी का पत्ता

Update: 2021-12-02 16:13 GMT
4 दिसंबर को शनिवार के दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण (Last Solar Eclipse of 2021) लगने जा रहा है. भारतीय समय के अनुसार ये ग्रहण सुबह लगभग 11 बजे शुरू होकर दोपहर 03 बजकर 07 मिनट तक चलेगा. ज्योतिष के अनुसार सूर्य ग्रहण लगने से करीब 12 घंटे पहले से सूतक लग जाता है. सूतक लगने के बाद से लेकर ग्रहण समाप्त होने तक के समय को शुभ नहीं माना जाता. इसलिए इस दौरान पूजा पाठ आदि करने और कुछ भी खाने पीने की मनाही होती है. मंदिरों के कपाट सूतक लगते ही बंद हो जाते हैं.
इसके अलावा सूतक शुरू होने से पहले ही खाने पीने की सामग्री में तुलसी का पत्ता डाल दिया जाता है. मान्यता है कि जिस चीज में तुलसी का पत्ता पड़ जाता है, वो चीज अशुद्ध नहीं होती. ग्रहण काल समाप्त होने के बाद उसे फिर से उपयोग में लिया जा सकता है. हालांकि इस बार का ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. इस कारण यहां सूतक के ये नियम भी यहां लागू नहीं होंगे. फिर भी ये सोचने वाली बात है कि आखिर तुलसी का पत्ता डाल देने भर से सूतक और ग्रहण के असर से वो चीज कैसे बच सकती है. यहां जानिए क्या होता है सूतक और क्यों तुलसी के पत्ते पर नहीं होता सूतक का असर.
पहले सूतक के बारे में जानिए
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो सूतक सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों से पहले लगता है. सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है. ज्योतिष के हिसाब से सूर्य ग्रहण के समय सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय चंद्र को राहु केतु द्वारा प्रताड़ित किया जाता है, इस कारण वे काफी कमजोर पड़ जाते हैं. ऐसे में ग्रहण से कुछ घंटे पहले प्रकृति काफी संवेदशनशील हो जाती है. वातावरण में तमाम नकारात्मक स्थितियां पैदा हो जाती हैं, जो अनहोनी का कारण बन सकती हैं. इसे ही सूतक काल कहा जाता है. शास्त्रों में सूतक से लेकर ग्रहण समाप्त होने तक के समय को अशुभ माना गया है. इसलिए इस दौरान ​खाने पीने, पूजा पाठ आदि प्रतिबन्धित माना जाता है. हालांकि बीमार और गर्भव​ती के लिए कुछ नियमों के साथ छूट दी गई है.
क्यों खाने पीने की चीजों में डाला जाता है तुलसी का पत्ता
वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो ग्रहण के दौरान वातावरण में मौजूद किरणें नकारात्मक असर छोड़ती हैं. ऐसे समय में यदि खाने या पीने की चीजें खुली रखी हों, या इस समय में खाया पीया कुछ जाए, तो ​इन किरणों का नकारात्मक असर उस चीज में भी पहुंच जाता है और हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाता है. चूंकि तुलसी के पत्ते में पारा मौजूद होता है. पारे पर किसी भी तरह की किरणों का कोई असर नहीं होता. माना जाता है कि ग्रहण के समय आकाश मंडल और ब्रह्मांड से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा तुलसी के नजदीक आते ही निष्क्रिय हो जाती है. इस कारण तुलसी का पत्ता जिन चीजों में भी डाला जाता है, वो चीजें वातावरण में मौजूद किरणों के नकारात्मक प्रभाव से बच जाती है. इसलिए उन चीजों को शुद्ध माना जाता है.
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